छत्तीसगढ़ में कैंसर वाली अल्ट्रावायलेट किरणें खतरनाक स्तर पर- सुधीर उपाध्याय

रायपुर. चिलचिलाती धूप के साथ इन दिनों आसमान से अल्ट्रावायलेट (यूवी) किरणें भी जमकर बरस रही हैं। मौसम विज्ञानियों के अनुसार छत्तीसगढ़ सहित मध्य भारत के ज्यादातर इलाकों में इसका स्तर 14 तक पहुंच चुका है। इन किरणों की तीव्रता सुबह 11 बजे से लेकर दोपहर 3 बजे तक सबसे ज्यादा होती है। आमतौर पर 2 यूनिट तक का स्तर अल्ट्रावायलेट किरणें के लिए सामान्य माना जाता है। इतनी ज्यादा यूवी किरणों से स्किन कैंसर व अन्य त्वचा रोग होने की आशंका रहती है।

पिछले 30 सालों से छत्तीसगढ़ के बदलते मौसम पर नजर रख रहे इंदिरा गांधी एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एएसआरएएस शास्त्री के अनुसार यूवी किरणों की मात्रा बढ़ने का क्रम वर्ष 1988 से शुरू हुआ। पांच साल पहले तक छत्तीसगढ़ में यह 9 से 10 के आसपास रहता था। यह मात्रा भी खतरनाक मानी जाती है, पर इस साल सारे रिकॉर्ड टूटते दिख रहे हैं।

कुछ दिनों पहले रायपुर में यह स्तर 14 तक चला गया था। मई में इन किरणों का स्तर 12 यूनिट या उससे ऊपर दर्ज की गई है, जबकि यह 0 से 2 यूनिट होनी चाहिए। 23 और 24 मई को स्तर 13 होने की आशंका व्यक्त की गई है। विशेषज्ञों के अनुसार 10 यूनिट के बाद यूवी किरणें खतरनाक हो जाती हैं। भारतीय मौसम विभाग इस बारे में कोई जानकारी इकट्ठा नहीं करता। पर दुनियाभर के मौसम में आ रहे बदलाव पर नजर रखने वाले अमेरिकन उपग्रहों की मदद से रोज मौसम के साथ अल्ट्रा वायलेट किरणें का डेटा जारी हो रहा है।

कैंसर का खतरा
यह मनुष्य के लिए बेहद खतरनाक है। खासकर त्वचा और आंखों के लिए। आंध्रप्रदेश में यूवी किरणें की वजह से मोतियाबिंद के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ज्यादा समय तक धूप में रहने से त्वचा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। गोरे लोगों को यह खतरा कहीं ज्यादा होता है। ल्यूकोडर्मा जैसी बीमारियों के लिए भी यूवी जैसी ही किरणों जिम्मेदार होती हैं।

नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. दिनेश मिश्रा कहना है कि अल्ट्रावायलेट किरणों के लगातार संपर्क में आने से आंखों में मोतियाबिंद या पूर्ण अंधत्व भी हो सकता है। इन दिनों इन किरणों की वजह से आंखों में जलन की शिकायत वाले मरीज बड़ी संख्या में आ रहे हैं।
-डॉ. दिनेश मिश्रा, नेत्र रोग विशेषज्ञ

दो दिनों में यूवी किरणों का स्तर
स्थान सोमवार मंगलवार
रायपुर – 12 यूनिट 10
बिलासपुर 12 यूनिट 12
धमतरी 12 यूनिट 11
भोपाल 12 यूनिट 13
नागपुर 12 यूनिट 12

आंबेडकर अस्पतालके कैंसर विभाग में पहुंचने वाले मरीज
वर्ष मरीज
2008 19
2009 39
2010 34
2011 42
2012 13

हर दूसरे को एलर्जी
॥अभी धूप से संबंधित समस्या के ज्यादा मरीज आ रहे हैं। हर दूसरे मरीज को एलर्जी है। चेहरे, हाथ, गर्दन व अन्य खुली जगहों पर खुजली होती है व लाल-लाल दाने निकल आते हैं। ज्यादा धूप के संपर्क में रहने से समय से पहले झुर्रियां भी आती हैं।ञ्जञ्ज
डॉ. भरत सिंघानिया,त्वचा रोग विशेषज्ञ

अल्ट्रावायलेट विकिरण स्तर
0 से 2 यूनिट कम
3 से 5 यूनिट मध्यम
6 से 7 यूनिट अधिक
8 से 10 यूनिट अत्यधिक
11 से सर्वाधिक हानिकारक

ऐसे करें बचाव :
-सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक बाहर निकलने से बचें। ञ्चअगर निकलना ही पड़े तो ऐसे कपड़े पहनें जो पूरे शरीर को ढंक ले।
– टोपी और चश्मा लगा लें, ताकि सूरज की रोशनी सीधे न पहुंचे।
– अच्छी अल्ट्रा वायलेट प्रोटेक्शन क्रीम लगाएं। आंखों को पानी से धोते रहें।

ऐसी स्थिति क्यों?
डॉ. शास्त्री ने बताया कि एयर कंडीशनर का इस्तेमाल बढ़ने और अन्य वजहों से जमीन से करीब 45 किलोमीटर ऊपर स्थित ओजोन लेयर को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा है। मौसम विभाग के पास यूवी किरणों की मात्रा को मापने की तकनीकी सुविधाएं नहीं हैं। ओजोन की परत सूरज की किरणों के साथ आने वाली यूवी किरणों का बहुत सारा हिस्सा सोख लेती है। पर जहां ये परत कमजोर है, वहां रेडियेशन बढ़ जाता है। बादल रहे, तो इससे कुछ राहत मिल सकती है।

ज्यादा यूवी किरणों से कैंसर
॥स्किन कैंसर का सबसे बड़ा कारण अल्ट्रा वायलेट रेस एक्सपोजर है। इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अज्ञानता के कारण ज्यादातर मरीज अस्पताल नहीं पहुंचते। अभी भी स्किन कैंसर पर कई तरह की भ्रांतियां हैं।ञ्जञ्ज
डॉ. एसके आजाद, कैंसर विशेषज्ञ, आंबेडकर अस्पताल

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