नई दिल्ली [नितिन प्रधान]। बिहार के पिछड़े इलाकों के विकास के लिए साल
2013-14 में 2000 करोड़ रुपये की राशि मिल सकती है। इस राशि पर योजना आयोग
और बिहार सरकार के बीच मोटे तौर पर सहमति बन गई है। बुधवार को बिहार की
34000 करोड़ रुपये की सालाना योजना तय करने के लिए होने वाली बैठक में
बीआरजीएफ [बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड] की राशि को भी मंजूरी मिलने की उम्मीद
है।
पिछले महीने ही केंद्र सरकार ने बीआरजीएफ के तहत बिहार को 12वीं योजना
में 12000 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की है। चालू वित्त वर्ष में राज्य को
मिलने वाली राशि और उसके खर्च के तौर तरीकों पर विचार करने के लिए योजना
आयोग और बिहार सरकार के अधिकारियों के बीच बैठक हुई। बैठक में चालू वित्त
वर्ष के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि पर सहमति बन गई है। बुधवार को ही
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और योजना आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. मोंटेक
सिंह अहलूवालिया के बीच सालाना योजना को मंजूरी देने के लिए बैठक होनी है।
सूत्रों का कहना है कि इस राशि को भी कल सालाना योजना के साथ मंजूरी मिल
जाएगी।
माना जा रहा है कि बिहार की सालाना योजना 34000 करोड़ रुपये पर तय होगी।
यह पिछले साल के 28000 करोड़ रुपये के मुकाबले 12.43 फीसदी अधिक है।
सूत्र बताते हैं कि योजना आयोग वैसे तो बिहार के विकास संबंधी कार्यो
से संतुष्ट है। लेकिन इंटीग्रेटेड एक्शन प्लान [आइएपी] के तहत राज्यों के
कुछ जिलों के प्रदर्शन को लेकर मुख्यमंत्री को आगाह कर सकता है। आइएपी में
राज्य के 11 जिले शामिल हैं। इनमें अरवल, औरंगाबाद, गया, जमुई, जहानाबाद,
कैमूर, मुंगेर, नवादा, पश्चिम चंपारण, रोहतास और सीतामढ़ी आइएपी के तहत आते
हैं। कई जिले ऐसे हैं जिनका प्रदर्शन काफी खराब रहा है। सीतामढ़ी के पास
20 करोड़ रुपये की राशि लंबित है लेकिन वो कुछ खर्च नहीं कर पाया। औरंगाबाद
समेत बाकी दस जिले 10 करोड़ रुपये की दूसरी किस्त ही अभी तक उठा नहीं पाए
हैं। कैमूर और मुंगेर ने तो 2012-13 में आइएपी की एक भी किश्त नहीं उठाई
थी।
योजना आयोग के सूत्र बताते हैं कि 7 मई 2013 तक राज्य के पास आइएपी को
635 करोड़ रुपये की राशि थी जिसमें से सभी 11 जिले 59.44 फीसदी ही खर्च हो
पाया है। प्रत्येक जिले को आइएपी के तहत 30 करोड़ रुपये की राशि मिलनी है।
माना जा रहा है कि बुधवार को होने वाली बैठक में अहलूवालिया इस मामले में
राज्य सरकार के जिलों को मुस्तैद करने का आग्रह कर सकते हैं।