नक्सली इलाके में आज भी बच्चियों की किलकारियों की गूंज से सूने हैं कान!

रायपुर. नई जनगणना में चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। छत्तीसगढ़
में बच्चियों की संख्या कम हो रही है। शून्य से छह आयुवर्ग में प्रति हजार
लड़कों के पीछे ९६९ बच्चियां हैं, जबकि बीस साल पहले यह संख्या ९८४ थी।
हालांकि एक दशक में पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात जरूर बढ़ा है। 
 
नई जनगणना के अनुसार महिला-पुरुष का अनुपात 10 सालों में 989 से बढ़कर
991 प्रति हजार हो गया है। लेकिन बच्चियों के मामले में चिंताजनक स्थिति
है। वर्ष 2001 की जनगणना में प्रति हजार लड़कों की तुलना में बच्चियों की
संख्या ९७५ थी, जो इस बार छह और कम हो गई है। नक्सल प्रभावित जिलों में
सबसे ज्यादा कमी आई है।      
             
मसलन 2001 की तुलना में बीजापुर जिले में 22 लड़कियों की कमी आई है।
दंतेवाड़ा में यह अंतर 18, बस्तर और सरगुजा में 15-15 का है। इनके अलावा
रायगढ़, जांजगीर-चांपा और कोरबा जिले में यह अंतर दहाई के अंक में है। केवल
पांच जिलों में यह अनुपात बढ़ा है, लेकिन वह भी संख्या में कम है। हालांकि
राष्ट्रीय स्तर के अनुपात ९१९ से जरूर छत्तीसगढ़ अभी भी आगे है। 
 
ठोस पहल की जरूरत
आयुष विवि के कुलपति व शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. एटी दाबके का कहना है कि
अब ठोस पहल करने की जरूरत है। सामान्य तौर पर पहला बच्च लड़का होने पर लोग
छोटा परिवार रखने लगे हैं, लेकिन यदि पहला बच्च लड़की हुई तो वे लड़के के
लिए इंतजार करते हैं। प्रदेश में लड़कियों का बर्थ वेट (जन्म के समय वजन)
कम होता है। इससे वो कुपोषण का शिकार हो जाती हैं। हमें आदिवासी इलाकों में
स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार करना चाहिए।       
 
बीजापुर में सबसे कम बच्चियां 
जिला 2001 2011 अंतर 
बीजापुर 1000 978 -22 
दंतेवाड़ा 1023 1005 -18 
रायगढ़ 964 947 -17 
जांजगीर-चांपा 966 950 -16 
सरगुजा 977 962 -15 
बस्तर 1009 994 -15 
कोरबा 978 966 -12 
महासमुंद 979 971 -8 
बिलासपुर 965 961 -4 
दुर्ग 966 963 -3 
धमतरी 976 973 -3 
कोरिया 970 968 -2 
नारायणपुर 999 989 -1
 
यहां बढ़ा अनुपात 
कांकेर 975 978 +3 
रायपुर 965 968 +3 
राजनांदगांव 984 986 +2 
कवर्धा 970 983 +13 
जशपुर 975 980 +5

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