गेहूं निर्यात का बेस प्राइस घटाने पर विचार संभव

मौजूदा बेस प्राइस पर सरकारी गेहूं निर्यात में प्राइवेट निर्यातकों की दिलचस्पी नहीं : थॉमस

केंद्रीय खाद्य मंत्री के. वी. थॉमस ने कहा है कि सरकार प्राइवेट निर्यातकों के जरिये गेहूं निर्यात के लिए न्यूनतम मूल्य (बेस प्राइस) में कटौती करने पर विचार कर सकती है ताकि विश्व बाजार में भारतीय गेहूं निर्यात संभव हो सके और घरेलू सरकारी गोदाम खाली किए जा सकें। मौजूदा बेस प्राइस पर प्राइवेट निर्यातकों ने सरकारी गोदामों से गेहूं निर्यात में कोई खास दिलचस्पी नहीं ली है।

पिछले माह सरकार ने 50 लाख टन अतिरिक्त गेहूं पंजाब व हरियाणा के गोदामों से प्राइवेट निर्यातकों के जरिये निर्यात करने की अनुमति दी थी, ताकि अगली फसल का गेहूं रखने के लिए गोदाम खाली किए जा सकें।

इसके लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 1484 रुपये प्रति क्विंटल बेस प्राइस निर्धारित किया था। थॉमस ने पीटीआई को बताया कि ऊंचा बेस प्राइस होने के कारण पहले टेंडर के लिए किसी भी व्यापारी ने बिड नहीं भरी है। हम अगले सप्ताह मंत्रि समूह के समक्ष बेस प्राइस घटाने का प्रस्ताव भेजेंगे।

उन्होंने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाला मंत्रि समूह गेहूं का निर्यात 30 जून के बाद भी करने की अनुमति दे सकता है।

और ज्यादा गेहूं निर्यात की अनुमति दिए जाने के सवाल पर उन्होंने बताया कि हमारे पास आवश्यकता से ज्यादा गेहूं गोदामों में उपलब्ध है। प्रस्तावित 50 लाख टन गेहूं का निर्यात होने के बाद अतिरिक्त गेहूं निर्यात करने की अनुमति दी जा सकती है।

एक अप्रैल को सरकारी गोदामों में 242 लाख टन गेहूं उपलब्ध था, जबकि बफर मानकों के अनुसार सिर्फ 70 लाख टन गेहूं उपलब्ध होने की जरूरत थी।

नए सीजन में गेहूं खरीद पर थॉमस ने कहा कि मार्केटिंग सीजन 2013-14 के दौरान 400 लाख टन गेहूं की खरीद होने की संभावना है, जो पिछले साल खरीदे गए 440 लाख टन करीब दस फीसदी कम होगा।

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