नयी दिल्ली : कोयला घोटाले की जांच कर रही संसदीय समिति की ड्राफ्ट
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने कोयला आवंटन के लिए जिस प्रक्रिया का इस्तेमाल
किया है वह पूरी तरह से अवैध है.
ड्राफ्ट में कहा गया है कि साल 1993 से साल 2008 तक जितने भी कोल ब्लॉक
आवंटन हुए वह अवैध तरीके से हुए. समिति ने यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए
कहा कि सरकार ने लोगों के साथ विश्वासघात किया है. इस आवंटन से प्रत्यक्ष
या अप्रत्यक्ष रुप से जुड़े लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. यही नहीं समिति
ने रिपोर्ट में कहा कि जिन खदानों में अब तक खनन शुरू नहीं हुआ है उनका
आवंटन तुंरत रद्द कर दिया जाए. समिति मंगलवार को सदन में ये रिपोर्ट सौंप
सकती है.
कमिटी के अध्यक्ष तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने साथ ही कहा
कि इस आवंटन में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल सभी व्यक्तियों की जांच
की जानी चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आवंटनों में पारदर्शिता नहीं
बरती गई. 1993 से लेकर 2004 तक के आवंटन बिना किसी विज्ञापन के किए गए.
रिपोर्ट के अनुसार साल 2004 से 2008 तक के आवंटन की सूचना वेबसाइट पर दी
गई, लेकिन इसमें भी पारदर्शी निविदा प्रक्रिया नहीं अपनाई गई. इसलिए इन
आवंटनों से सरकार को कोई राजस्व नहीं मिला.
पिछले साल कैग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा था कि निविदा प्रक्रिया न
अपनाने से कोयला ब्लॉकों के आवंटन से सरकार को 1.86 लाख करोड़ के राजस्व का
नुकसान हुआ था. 22 मार्च 2012 को आई कैग की ड्राफ्ट रिपोर्ट में 10.67 लाख
करोड़ के नुकसान की बात कही गई थी. जिसे मई में आई अपनी अंतिम रिपोर्ट में
कैग ने घटाकर 1.86 लाख करोड़ कर दिया था.