जल संसाधन विभाग के सूत्रों के मुताबिक 2008 तक बुंदेलखंड में सागर सहित सभी पांचों जिलों में बोए गए कुल रकबे के महज तीन फीसद क्षेत्र में और निजी स्त्रोतों से करीब 35 फीसद क्षेत्र की सिंचाई हो पाती थी। लेकिन 2009 में बुंदेलखंड पैकेज और प्रदेश सरकार द्वारा शुरू की गई नई सिंचाई परियोजनाओं के चलते जिले में खेती के कुल रकबे का शासकीय स्रोतों से सिंचाई भूमि का रकबा तीन फीसद से बढ़कर सात फीसद तक पहुंच गया है। इसमें अगर सिंचाई के निजी स्रोतों को भी शामिल किया जाए तो जिले की खेती योग्य जमीन का आधा से ज्यादा रकबा अब सिंचित हो चुका है।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में सागर जिले का कुल भौगौलिक क्षेत्रफल 10 लाख 22 हजार 559 हैक्टेयर है। इसमें से लगभग आधे क्षेत्र में ही खेती की जा रही है। जिले के सभी 11 विकासखंडों में फैली खेती योग्य जमीन के कुल रकबे 5 लाख 44 हजार 864 में से 2 लाख 92 हजार 355 हैक्टेयर जमीन सिंचित है। इसमें से 2 लाख 60 हजार 34 हैक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई निजी जल स्रोतों से और 32 हजार 321 हैक्टेयर जमीन की सिंचाई शासकीय जल स्रोतों से हो रही है।
जल संसाधन विभाग के प्रभारी कार्यपालन मंत्री देवेश गर्ग के मुताबिक सागर जिले में 31 मार्च 2008 तक 57 लघु जलाशय और निर्मित योजनाएं हैं, जिनकी रुपांकित सिंचाई क्षमता 12586 हैक्टेयर है। उन्होंने बताया कि पिछले पांच साल में 54 लघु सिंचाई योजनाओं के निर्माण काम पूरे कर लिए गए हैं, जिससे 9503 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित कर ली गई है। उन्होंने बताया कि अब तक 111 लघु सिंचाई योजनाओं से 22089 हैक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता विकसित कर किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है।
संयुक्त संचालक, कृषक कल्याण एवं कृषि विकास के मुताबिक संभाग के पांचों जिलों में 2008-09 में रबी फसल का कुल सिंचित रकबा करीब 13 लाख 35 हजार हैक्टेयर था, जो पिछले पांच साल में बढ़कर 15 लाख 63 हजार के लगभग हो गया है। इस तरह केवल पांच साल में संभाग भर में 2 लाख 27 हजार हैक्टेयर की वृद्धि दर्ज हुई है। विभागीय जानकारी के मुताबिक 2013 में 31 लघु जलाशय व वियर निर्माणधीन योजनाओं को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है जिनसे 11818 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता की वृद्धि होगी।