नयी दिल्ली। पेड न्यूज को ‘नैतिक कदाचार’ करार देते हुए चुनाव आयोग ने आज इस बात पर खेद व्यक्त किया कि इसे परिभाषित करने के लिए कोई कानून नहीं है।
मुख्य चुनाव आयुक्त वी एस संपत ने यहां एक परिचर्चा कार्यशाला के दौरान कहा, ‘‘पेड न्यूज एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हम अपने जोखिम पर नजरंदाज कर सकते हैं। लेकिन इसे परिभाषित करने के लिए कोई कानून नहीं है।”
आयोग के अनुसार, पेड न्यूज एक जटिल बुराई है क्योंकि यह धन या वस्तु लेकर मीडिया में आने वाले समाचारों से जुड़ा विषय है। इसके कारण चुनाव के दौरान मतदाताओं पर अनुचित प्रभाव पड़ता है जो उनके सूचना के अधिकार को प्रभावित करता है।
आयोग ने पेड न्यूज के खिलाफ अभियान 2010 में शरू किया था और जन प्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की मांग करते हुए इसे दंडनीय अपराध बनाने का सुझाव दिया था।
संपत ने स्पष्ट किया कि आयोग लोकतंत्र में अनिवार्य मतदान जैसे विषयों पर जोर जबर्दस्ती के पक्ष में नहीं है। आयोग ने मतदाताओं को मतदान करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाये हैं।