नयी दिल्ली: देश के स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी की खबरों के बीच केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ( सीबीएसई ) ने सभी संबद्ध स्कूलों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उनके शिक्षक मानकों के अनुरुप प्रशिक्षित हों और नियमों का पालन नहीं करने वाले स्कूल पर उपयुक्त कार्रवाई की जायेगी.
सीबीएसई के एक अधिकारी ने कहा कि छह से 14 वर्ष के बच्चों के लिए लागू की गयी नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून और बोर्ड की ओर से गठित विभिन्न समितियों एवं संचालक मंडल की सिफारिशों के आलोक में शिक्षकों के प्रशिक्षण की त्वरित जरुरत महसूस की गई है. इसके अनुरुप ही बोर्ड ने संबद्धता नियमों में शिक्षकों का प्रशिक्षण संबंधी उपबंध जोड़ा है.
बोर्ड का नियम 3.3 यह स्पष्ट करता है कि ‘‘प्रत्येक स्कूल को राज्य या केंद्र सरकार या बोर्ड से मान्यता प्राप्त किसी एजेंसी के सहयोग से प्रति वर्ष शिक्षकों के लिए कम से कम एक सप्ताह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए. बोर्ड ने इस बारे में सभी संबद्ध स्कूलों के प्रमुखों को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है, ‘‘इस सिलसिले में मैं आपको यह बताना चाहता हूं कि बोर्ड ने स्कूलों में सतत समग्र मूल्यांकन (सीसीई) के सुचारु संचालन, प्रभावी स्कूली प्रबंधन, नेतृत्व गुणों के विकास के लिए सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम हेतु कुछ एजेंसियों की पहचान की है.” बोर्ड ने कहा कि ये एजेंसियां मामूली खर्च पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करेंगी.
सीबीएसई ने कहा, ‘‘सभी संबद्ध स्कूलों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि उनके शिक्षक मानकों के अनुरुप प्रशिक्षित हों. नियमों का पालन नहीं करने पर उपयुक्त कार्रवाई की जायेगी.” गौरतलब है कि देश में कुशल शिक्षकों की भारी कमी आरटीई के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, देश के विभिन्न राज्यों में 8.6 लाख शिक्षक अप्रशिक्षित है. इसमें पश्चिम बंगाल में 1.97 लाख, बिहार में 1.86 लाख, उत्तरप्रदेश में 1.43 लाख, झारखंड में 77 हजार, छत्तीसगढ में 48 हजार, ओडिशा में 40 हजार, जम्मू कश्मीर में 31 हजार शिक्षक अप्रशिक्षित हैं.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षा के अधिकार कानून के कार्यान्वयन और इसके परिणामस्वरुप सर्व शिक्षा अभियान के सुधार के संबंध में एक विशेषज्ञ समिति गठित की थी. इसकी सिफारिशों के आधार पर आरटीई के मानदंडों एवं मानकों में संशोधन किया गया. इसके तहत प्रति वर्ष देश के 14.02 लाख शिक्षकों के सेवाकालीन प्रशिक्षण की बात कही गई है.