नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। पेट्रोलियम सब्सिडी में कमी करने की अगली गाज अब राज्यों पर गिरने वाली है। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान राज्यों को दिए जाने वाले केरोसिन आवंटन में भारी कटौती करने का फैसला किया है। कुछ राज्यों के केरोसिन आवंटन में तो 50 फीसद तक की कमी की जा सकती है। पेट्रोलियम सब्सिडी को घटाने के वित्त मंत्रालय के भारी दबाव को देखते हुए केरोसिन आवंटन में कमी कर तेल मंत्रालय पांच हजार करोड़ रुपये बचाने की कोशिश करेगा।
तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पेट्रोलियम उत्पादों में सिर्फ केरोसिन ही ऐसा है, जिसमें सब्सिडी बोझ कम करने के लिए अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई है। पेट्रोल कीमत को पूरी तरह से बाजार भरोसे छोड़ दिया गया है। डीजल के दाम भी हर महीने बढ़ाए जा रहे हैं। चालू वित्त वर्ष के अंत तक इस मद में सब्सिडी बोझ काफी कम हो जाएगा। सब्सिडी वाले एलपीजी सिलेंडरों की संख्या सीमित की जा चुकी है। इस वर्ष रसोई गैस सब्सिडी सीधे बैंक खाते में जाने का कार्यक्रम शुरू होने से भी एलपीजी सब्सिडी काफी कम हो जाएगी। सीधे सब्सिडी देने की डीबीटी योजना के तहत पहले केरोसिन को भी शामिल करने का फैसला किया गया था, लेकिन इसमें अभी फिलहाल देरी हो रही है।
दरअसल, केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष ही कुछ राज्यों के केरोसिन कोटे में भारी कटौती कर इस तरकीब को आजमा लिया था। पंजाब का कोटा पिछले वर्ष के दो लाख 72 हजार 556 किलोलीटर से घटाकर एक लाख किलोलीटर कर दिया गया था। इसका राजनीतिक विरोध भी खास नहीं था। इसी तरह से हरियाणा के आवंटन को भी एक लाख 57 हजार 260 किलोलीटर से घटाकर 95 हजार किलोलीटर कर दिया गया। उत्तराखंड के आवंटन को भी 70 फीसद घटा दिया गया था। महाराष्ट्र में भी कटौती की गई थी। यही वजह है कि पेट्रोलियम मंत्रालय कुछ अन्य बड़े राज्यों के लिए भी कटौती करना चाहता है। सूत्रों के मुताबिक महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश सहित कुछ अन्य राज्यों के केरोसिन कोटे पर इस बार कैंची चलेगी।
पंजाब, हरियाणा और उत्तराखंड में केरोसिन कोटे में 50 से 70 फीसद तक की कटौती के बावजूद वहां कोई असर नहीं पड़ा है। साफ है कि इन राज्यों में केरोसिन का इस्तेमाल गैर कानूनी मिलावट में हो रहा था। राजस्थान के एक गांव में जब केरोसिन सब्सिडी सीधे बैंक खाते में देने की व्यवस्था की गई तो दो महीने में 80 फीसद ग्राहक कम हो गए। साफ है कि केरोसिन का गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा एक लीटर केरोसिन पर तेल कंपनियों को 30 रुपये का घाटा हो रहा है। वर्ष 2012-13 में सरकार व तेल कंपनियों पर केरोसिन सब्सिडी का 30 हजार करोड़ रुपये तक का बोझ आने की संभावना है।