पहले बीमार किया अब इलाज के लायक नहीं छोड़ा

अंबरीश कुमार, सोनभद्र। सोनभद्र में केंद्र सरकार का उपक्रम एनटीपीसी कांग्रेस को आम आदमी से दूर ले जा रहा है। एनटीपीसी अन्य बिजलीघरों के साथ पहले पर्यावरण को चौपट कर लोगों को बीमार बना रहा है और अब उसने स्वास्थ्य सेवा को इतना महंगा कर दिया है कि आम आदमी इलाज भी नहीं करा सकता। इसे लेकर इस अंचल में आंदोलन चल रहा है।


एक फरवरी, 2013 से एनटीपीसी शक्ति नगर ने एक आदेश के तहत संजीवनी चिकित्सालय में हर प्रकार की चिकित्सा शुल्क में बेतहाशा बढोतरी कर दी है, इसमें डाक्टर को दिखाने की फीस, आपात सेवा, भर्ती, आपरेशन, आईसीयू, बेड चार्ज आदि के शुल्कों में चार सौ से छह सौ रुपए की बढ़ोतरी की गई है। इस वजह से आम आदमी का इलाज करा पाना मुश्किल हो गया है।


इस अंचल में बिजलीघरों के अलावा कई तरह के उद्योगों के कारण जल जंगल और जमीन का पर्यावरण पहले से ही खराब हो चुका है। यहां रिहंद बांध का पानी इतना जहरीला है कि लोग उसकी मछली तक नहीं खाते। यहां आंध्र प्रदेश की मछली बिकती है।


पहले फ्लाई ऐश को ताल, तालाब और नदी में फेंका गया और बाद में जब पानी जहरीला हो गया, तो जंगल में फेंका जाने लगा। इस वजह से यहां और आसपास बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़ रहे हैं। कुछ समय पहले प्रदूषित पानी की वजह से 18 बच्चों की मौत हो चुकी है। इस हालत में एनटीपीसी का स्वास्थ्य सेवा शुल्क कई गुना बढ़ा दिया जाना लोगों के लिए जानलेवा कदम साबित हो सकता है। आम आदमी तो मुश्किल से बचेगा।


पहले डाक्टर को दिखाने का शुल्क 55 रुपए था, जो अब 200 रुपए हो गया है। जनरल वार्ड का बेड चार्ज 75 रुपए से बढ़ कर तीन सौ रुपए हो गया है, तो आईसीयू का शुल्क 600 रुपए से बढ़ा कर 1500 रुपए कर दिया गया है। इस मुद्दे को लेकर आंदोलन छेड़ने वालों में शामिल एकता ने यह जानकारी दी, जो आदिवासियों के बीच काम कर रही है। अब इस सवाल पर यहां आंदोलन चल रहा है। कई लोग आमरण अनशन पर बैठे हैं, जिनमें रविवार रात एक की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा।


लोकहित समिति के संयोजक अवधेश ने कहा कि सोनभद्र जिले के इस इलाके में ज्यादातर गोविन्द बल्लभ पंत सागर और एनटीपीसी परियोजना के कारण उजाड़े गए विस्थापित परिवार रहते हैं। उजाड़े जाने से पहले

इन परिवारों के लोग अपनी जमीन पर कृषि या अन्य वैसे रोज़गार करते थे, जिसका आधार उनकी अपनी विद्या यानी लोकविद्या में था। चिकित्सकीय आवश्यकताओं के लिए 200 किलोमीटर दूर बनारस जाने के पहले संजीवनी चिकित्सालय ही एकमात्र विकल्प है, जो एनटीपीसी परिसर में है। इसे कंपनी ही चलाती है।
अनशन स्थल पर सभा में किसान नेता सुनीलम ने कहा कि वे अनशन स्थल पर किसान संघर्ष समीति और जन आंदोलनों का राष्टीय समन्वय (एनएपीएम) की तरफ से पूरा समर्थन देने आए हैं। उन्होंने कहा कि महंगाई के दौर में स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता करने के बजाय केंद्र सरकार ने कई गुना वृद्धि कर यह साफ कर दियाहै कि वह नाम तो आम आदमी का लेती है, लेकिन उसकी हर नीति आम आदमी के खिलाफ बनाई जाती है। सुनीलम ने कहा कि उन्होंने उर्जा मंत्री को एक पत्र लिखा है। साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को जनता के पक्ष में हस्तक्षेप करने के लिए लिखा है ।
नागरिक मंच के वरिष्ठ नेता राम सुभग शुक्ल ने कहा कि चिकित्सकीय शुल्क में हुई भारी वृद्धि एनटीपीसी प्रबंधन की तरफ से उन लोगों के लिए की गई है जिन्होंने अपनी कई पुस्तों की कुर्बानी देकर कंपनी को बसाया था। पिछले 40 साल में इलाके में एनटीपीसी की गतिविधियों ने स्थानीय पर्यावरण और जन जीवन पर जो दुष्प्रभाव डाला है, उससे इलाके की जनता कई बीमारियों से घिर चुकी है। कई सरकारी और गैर सरकारी संगठनों के अध्ययनों के मुताबिक क्षेत्र की मिट्टी, पानी और हवा पूरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है।
सभा की अध्यक्षता कर रहे नंदलाल ने कहा कि इन मुद्दों पर पूरे इलाके में लगातार असंतोष बढ़ रहा है। बीती 11 फरवरी को शक्ति नगर में प्रदर्शन किया गया। जनसभा की भी गई। लगभग पांच हजार लोगों की उपस्थिति में क्रमिक अनशन की घोषणा की गई। 12 फरवरी को आंदोलनकारियों को शक्ति नगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। एनटीपीसी के इशारे पर हुई इस कार्रवाई ने क्षेत्र में आक्रोश पैदा किया और इसके विरोध में पूरा बाजार बंद हो गया और जनता ने थाने पर पहुंच कर अपनी गिरफ्तारी दी। इससे डरते हुए जिला प्रशासन ने आंदोलनकारियों से दस दिन का समय लिया और इस बीच शुल्क बढ़ाने की घोषणा वापस कराए जाने का भरोसा दिया।

 

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