आम लोगों को आंदोलन से जोड़ने में कामयाब रहे केजरीवाल

प्रतिभा शुक्ल, नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने बिजली पानी के मुद्दे को प्रभावशाली ढंग से उठाने में असहयोग आंदोलन से सफलता तो पाई ही, खुद से अलग हो चुके अण्णा और मतभेद रखने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं को भी साथ खड़ा करने में कामयाब हुए। आंदोलन से आम आदमी भी जुड़ने लगे हैं। इस बार मीडिया से उतना तवज्जो न मिलने के बावजूद पार्टी आगामी चुनाव के हिसाब से तैयारी में लगी है। आप के सामने इस लिहाज से मजबूत क ोर टीम तैयार करने की चुनौती है। अण्णा हजारे और अरविंद केजरीवाल के बीच दुरियों को लेकर तमाम अटकलें उस रात को समाप्त हो गई जब केजरीवाल के असहयोग आंदोलन को समर्थन देने अण्णा खुद पहुंच गए। अपने संबोधन में अरविंद केजरीवाल ने अण्णा को धन्यवाद देते हुए कहा भी कि उनके आने से केजरीवाल ही नहीं उनके समर्थकों का भी भरोसा बढ़ा है।
केजरीवाल ने कहा कि अण्णा के समर्थन मेंआने से मेरी ताकत बढ़ी है। अण्णा की हर बात मेरे लिए आदेश है लेकिन अनशन तब खत्म नहीं किया बल्कि ताकत रहने तक इसे जारी रखने का एलान किया। अण्णा के आते ही आंदोलन स्थल पर मौजूद लोगों की संख्या भी बढ़ गई। तब तक उपवास के आठ दिन हो चुके थे बावजूद इसके केजरीवाल पूरे उत्साह में बने रहे। तब तक गलत बिल नहीं जमा करने का शपथ लेने वालों की संख्या भी पांच लाख पार कर गई हालांकि तब तक सरकारी कार्रवाई का डर भी लोगों क ो सताता रहा। केजरीवाल ने उपवास लोगों के इसी डर को मन से निकालने के मकसद से रखा था। अण्णा के मंच तक आने की घोषणा से ही अनशन स्थल पर मौजूद लोगों में उत्साह चरम पर पहुंच गया। अण्णा के आने से कयास लगाया जा रहा था कि केजरीवाल अपना अनशन समाप्त करने की घोषणा कर सकते हैं लेकिन अण्णा के आने से उनमें नई ऊर्जा का संचार हो गया और आंदोलन आगे बढ़ा।
केजरीवाल के आंदोलन का असर पूरी दिल्ली में ही नहीं मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा जैसे राज्यों में भी नजर आने लगा है। बाहरी दिल्ली के बवाना विधानसभा क्षेत्र के गांवों में बिजली की बढ़ी दरों की समस्या से दो चार होते गांव वालों ने आंदोलन से बल लेते हुए इसके विरोध में खड़े होने का एलान किया। जलखोरे गांव में पंचायत बुला कर ग्रामीणों ने तय किया कि वे गलत बिजली का बिल नहीं भरेंगे। इनमें से कुछ गांव वाले आंदोलन स्थल पर भी पहुंचे। उनसे केजरीवाल ने अपील की कि वे दिल्ली के 360 गांवों में भी अलख जगाने का काम करें।
अण्णा हजारे के आने के बाद अब सामाजिक आंदोलनों के अन्य नेता भी आप के समर्थन में आगे आए। अरविंद केजरीवाल को सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय और मेधा पाटकर का समर्थन मिला। कभी केजरीवाल क ा विरोध करने वाली राय और पाटकर इस मुद्दे पर उनके और आंदोलन के साथ आईं। कई अन्य बुद्धिजीवियों का भी समर्थन मिला। अब तक समर्थकों की तादाद और बढ़ गई। इनमें ज्यादातर निम्न औरमध्यम आयवर्ग के लोग शामिल हैं। आंदोलन के लिए जो इलाका चुना गया वह इसी खास वर्ग की बहुलता वाला रहा। 15 दिन के उपवास के बाद लोगों की सहानुभूति केजरीवाल को मिलने लगी है।
कांग्रेस व भाजपा के वोटरों के सामने एक विकल्प की तरह उभर रहे केजरीवाल क ो खरा साबित होने में अभी भी कई पेंच हैं। बिजली पानी के मुद्दे व आंदोलन की तीव्रता को चुनाव होने तक बनाए रखना और जन समर्थन को वोट में बदल पाना भी इनमें से एक है। भ्रष्टाचार और महंगाई से त्रस्त जनता भाजपा से भी निराश है। इसका केजरीवाल को फायदा मिल सकता है। फिलहाल रविवार को केजरीवाल पूरे दिन घर पर ही रहे। अनशन के कारण आई कमजोरी से उबरने के बाद वे 28 अप्रैल के प्रदर्शन की तैयारी में लगेंगे। इस बीच पार्टी कार्यकर्ता कटी बिजली जोड़ने का आभियान जारी रखेंगे।

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