नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। यह ऐसा ताज है, जिसे संभालना किसी भी राज्य के लिए आसान नहीं होगा। मगर बच्चे पैदा करने की रफ्तार में बिहार एक बार फिर अव्वल नंबर पर है। यह देश का अकेला राज्य है, जहां महिलाओं को अब भी औसतन साढ़े तीन से ज्यादा बच्चे पैदा हो रहे हैं। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर प्रजनन दर [टीएफआर] 0.1 अंक और घट कर 2.4 पर पहुंच गई है। पंजाब, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और हिमाचल सहित कुल दस राज्यों ने 2.1 बच्चों के औसत का राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल कर लिया है।
राष्ट्रीय स्तर पर हम देर से ही सही मगर प्रजनन दर के लक्ष्य के करीब पहुंच रहे हैं। भारत के महापंजीयक [आरजीआइ] की ओर से करवाए गए देश के सबसे बड़े जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण के मुताबिक ताजा प्रजनन दर घट कर 2.4 हो गई है। यानी भारतीय महिलाएं अभी अपने जीवन काल में औसतन 2.4 बच्चे पैदा कर रही हैं। यह अध्ययन वर्ष 2011 तक का है। इससे एक साल पहले तक यह दर 2.5 अंक थी। राष्ट्रीय जनसंख्या नीति के मुताबिक वर्ष 2010 तक ही हमें 2.1 बच्चों के औसत तक पहुंच जाना था। दस राज्यों आंध्र प्रदेश, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल ने यह लक्ष्य हासिल कर लिया है।
उत्तर प्रदेश भी कम नहीं
प्रजनन दर के लिहाज से बिहार 3.6 बच्चों के औसत के साथ देश में सबसे ऊपर है। उत्तर प्रदेश [3.4], मध्य प्रदेश [3.1] और राजस्थान [3] की स्थिति भी ज्यादा ठीक नहीं है। ये तीन और राज्य हैं, जहां अभी भी तीन से ज्यादा का औसत बना हुआ है। इस दौरान तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल दोनों ही 1.7 की दर से सबसे निचले स्तर पर हैं। हालांकि बिहार के लोग इस बात से संतोष कर सकते हैं कि पिछले पांच साल में यहां तेजी से इस पर काबू किया गया है। राज्य में वर्ष 2006 में जहां प्रजनन दर 4.2 थी, वहीं अब यह 0.6 अंक घट कर 3.6 हो गई है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इस दौरान महज 0.4 अंकों की ही कमी आई है। इस तरह देखें तो यह राष्ट्रीय स्तर पर आ रही गिरावट से 50 फीसदी ज्यादा है। मगर राज्य को अभी बहुत कोशिश करनी होगी, क्योंकि इसी दौरान उत्तर प्रदेश ने 0.8 अंकों की कमी की है।
भारत के लिए तेज प्रजनन दर इसलिए भी चिंता का कारण है, क्योंकि जहां दुनिया का सिर्फ तीन फीसदी भूभाग भारत के पास है, वहीं आबादी 17 फीसदी है।