सोया प्लांट की क्रशिंग में भारी कमी

क्या है वजह
घरेलू दाम में वृद्धि पर विदेशों में सोया खली के दाम घटे
इससे नहीं निकल पा रहा है मिलों का प्रॉफिट मार्जिन

मध्य प्रदेश की सोयबीन ऑयल मिलों में इन दिनों क्रशिंग घटकर 40 प्रतिशत रह गई है। इसका कारण देश में सोयाबीन के भाव बढऩे के बाद विदेशों में सोया खली (डीओसी) के भाव घट जाना है। इससे मिलों का प्रॉफिट मार्जिन नहीं निकल पा रहा है।

सोया प्लांट्स वैसे तो बीते कई वर्षों से तेल सीजन के प्रारंभ से पूर्ण क्षमता का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। मध्य प्रदेश और पड़ोसी राज्यों के बीच टैक्स के अंतर के कारण उत्पादक इसे प्रदेश के बाहर बेचना फायदेमंद समझते हैं। इस कारण सीजन के शुरू से ही स्थानीय प्लांट क्षमता का 80 से 85 प्रतिशत ही क्रशिंग कर रहे थे। अब इनमें क्रशिंग घटकर 40 प्रतिशत ही रह गया है।

आमतौर पर अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में सोया तेल का उत्पादन 15 से 20 लाख टन प्रति माह होता हैं। किंतु इस बार उत्पादन 20 प्रतिशत कम हुआ था, क्योंकि उक्त 3 महीनों में सोयाबीन की आवक ही 20 से 30 प्रतिशत कम हुई थी। इसी कारण सीजन की शुरुआत ही मिलों की क्षमता से 20 से 30 प्रतिशत कम पर शुरू पर हुई थी।

सोयाबीन प्रोसेसर्स की शीर्ष उत्पादक संस्था सोपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल के मुताबिक सोयाबीन के भाव इस समय बीच सीजन होने के कारण चढऩे लगे हैं। दूसरी ओर तेल उत्पादन से पैदा होने वाली सोयाखली के विदेशों में भाव मंदे चल रहे हैं। गौरतलब है कि मिलें सोयाखली का विदेशों में निर्यात कर अच्छा मुनाफा कमा लेती हैं।

बरहरहाल इस बार उक्त कारणों से मिलों को ऑपरेशन कॉस्ट (खर्चा पूर्ति) निकालना तक मुश्किल हो रहा है। अग्रवाल का कहना है कि आयातित पाम ऑयल के भावों के सोयाबीन तेल से सस्ता होने के कारण भी सोयाबीन तेल पर दबाव पड़ रहा है।

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