राहुल की अमेठी साक्षरता में फिसड्डी

सरस वाजपेयी, कानपुर। ‘साक्षर भारत’ का नारा देने वाली
कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी का संबोधन सुनकर और उनके साथ समय गुजार
मेधावी उन्हें शिक्षित व दूरदर्शी नेता का नाम भले ही देते हों, लेकिन
हकीकत यह है कि राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी में ही सबसे ज्यादा अशिक्षा
है। राज्य में अति पिछड़ा कहे जाने वाले बुंदेलखंड के अधिकतर जिले शिक्षा के
क्षेत्र में गांधी परिवार के इस राजनीतिक घर से काफी आगे हैं।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जहां अमेठी की साक्षरता दर मात्र 58.1 फीसद
है, वहीं बुंदेलखंड के बांदा में साक्षरता दर 89 फीसद से ज्यादा है। देश की
राजनीति में अमेठी हमेशा से गांधी परिवार से जुड़ा होने के कारण वीवीआइपी
क्षेत्र माना जाता रहा है। कांग्रेस ने ही देश के हर बच्चे को शिक्षित करने
के लिए कई योजनाएं चलाई और साक्षर भारत का नारा भी दिया।

देश में कंप्यूटर के जरिये संचार क्रांति लाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री
राजीव गांधी यहां से सांसद रहे और वर्तमान में यह सीट उनके बेटे राहुल
गांधी के पास है। इसके बाद भी यहां के लोग शिक्षा के मामले में पूरे प्रदेश
में सबसे फिसड्डी हैं।

वहीं, सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र रायबरेली प्रदेश के उन पांच जिलों
में है, जहां की साक्षरता सबसे ज्यादा है। प्रदेश के नक्सल प्रभावित
चंदौली जिले के लोग पढ़ाई में सबसे अव्वल हैं। यहां की साक्षरता दर 97.8
फीसद है।

गौरतलब है कि प्रदेश में साक्षरता दर के मामले में सबसे फिसड्डी रहे
अमेठी ने देश को कई ऐसे सांसद दिए हैं, जो राजनीति के अगुआकार व केंद्र की
सत्ता में नीति निर्धारक की भूमिका में रहे। इसमें कोई प्रधानमंत्री बना तो
कोई केंद्रीय मंत्री, लेकिन राज्य सरकार के आंकड़े इस बात की चुगली करते
हैं कि देश-विदेश में क्षेत्र को पहचान देने वाले नेताओं ने यहां की भोली
जनता को जागरूक करने की तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया। यहां से सांसद बनने
वालों में राजीव गांधी और राहुल गांधी के अलावा संजय गांधी और सतीश शर्मा
प्रमुख हैं।

उप्र के कुछ जिलों की साक्षरता दर

जिला साक्षरता दर प्रतिशत में

अमेठी 58.1

जालौन 68.0

अलीगढ़ 69.6

आजमगढ़ 72.6

रायबरेली 92.9

संतकबीर नगर 94.0

बलरामपुर 96.8

चंदौली 97.8

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