मौजूदा फसल वर्ष 2012-13 (जुलाई-जून) में देश का कुल खाद्यान्न उत्पादन 3.5 फीसदी गिरकर 2501 लाख टन रहने की संभावना है।
थिंक टैंक सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के अनुसार
पिछले साल कमजोर मानसून के कारण खरीफ के उत्पादन में गिरावट आने से कुल
खाद्यान्न उत्पादन कम रहेगा।
सीएमआईई की मासिक रिपोर्ट के अनुसार फसल वर्ष 2012-13 में खाद्यान्न उत्पादन 3.5 फीसदी गिरकर 2501 लाख टन रहने का अनुमान है।
कम वर्षा के कारण वर्ष 2012 में खरीफ की खेती और उत्पादकता दोनों
प्रभावित हुई थी। अनाज, तिलहन, गन्ना और कपास के उत्पादन में गिरावट रहने
का अनुमान है। रबी सीजन की बुवाई में पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ोतरी दर्ज
की गई है। लेकिन यह खरीफ के नुकसान की क्षतिपूर्ति करने में असफल रही है।
रबी की फसल का रकबा एक मार्च को 0.2 फीसदी बढ़कर 630 हेक्टेयर हो गया है।
सीएमआईई के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में प्रमुख रबी फसलों चावल और
गेहूं की खेती में बढ़ोतरी आने की उम्मीद है। एक मार्च तक गेहूं का रकबा
0.1 फीसदी गिरकर 298.4 लाख हेक्टेयर रह गया है। जबकि चावल का रकबा उससे
कहीं ज्यादा 11.5 फीसदी घटकर 28.9 लाख हेक्टेयर रह गया।
कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार दलहनों के उत्पादन
में 2.9 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। रबी में दालों का रकबा 0.8 फीसदी
बढ़कर 151.7 लाख हेक्टेयर रह गया।