खाद्य सुरक्षा बिल सोनिया का पसंदीदा कार्यक्रम
मौजूदा सत्र में मंजूरी के बाद लागू करने के लिए एक साल
एक साल बाद चुनाव में मिल सकता है फायदा
बिल में 67 फीसदी जनता को शामिल करने की योजना
बिल में स्थाई समिति के अलावा राज्यों के भी सुझाव शामिल
केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा बिल को अगले सप्ताह संसद में पेश करने
की तैयारी में जुट गई है। कानून मंत्रालय से इस बिल को मंजूरी मिल चुकी है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल से भी जल्द ही इस बिल को पारित कराया जाएगा।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि
प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल को 22 मार्च से पहले संसद में पेश किया
जाएगा।
कानून मंत्रालय इस बिल को अपनी मंजूरी दे चुका है तथा केंद्रीय
मंत्रिमंडल से इस बिल को जल्द ही पारित कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस
बिल को पारित कराने के लिए 16 मार्च या फिर 18 मार्च को केंद्रीय
मंत्रिमंडल की विशेष बैठक भी बुलाई जा सकती है।
उन्होंने बताया कि प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के नए प्रारूप में संसद
की स्थाई समिति के साथ ही राज्य सरकारों की सलाह को भी शामिल किया गया है।
खाद्य सुरक्षा बिल में देश की 67 फीसदी जनता को शामिल करने की योजना है,
यानि करीब 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को इसका फायदा पहुंचेगा।
प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल के नए प्रारूप में हर शख्स को पांच किलो
सस्ता अनाज देने की योजना है, यानि पांच सदस्यों वाले परिवार को हर महीने
25 किलो अनाज मिलेगा।
जबकि पहले तैयार किए गए मसौदे में लाभर्थियों की दो श्रेणियां बनाई गई
थीं। पहली श्रेणी के लोगों को प्रति महीने 7 किलो और दूसरी श्रेणी के लोगों
को हर महीने 3 किलो अनाज देने का प्रस्ताव किया गया था।
सूत्रों के अनुसार संसद की स्थाई समिति और राज्य सरकारों की सलाह को मिलाकर
खाद्य सुरक्षा बिल के नए मसौदे में लगभग 200 से भी ज्यादा संशोधन शामिल
किए गए हैं।
खाद्य सुरक्षा बिल कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का पसंदीदा कार्यक्रम
है तथा मौजूदा सत्र में पास होने से चुनाव से पहले इसे लागू करने के लिए
राज्यों को साल भर का समय मिल जाएगा। इसलिए सरकार चालू बजट सत्र में ही इसे
पास कराना चाहती है। इसके तहत गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों को 3
रुपये प्रति किलो चावल, 2 रुपये प्रति किलो गेहूं और 1 रुपये प्रति किलो की
दर से मोटे अनाजों का आवंटन करने की योजना है।
विधेयक के प्रावधानों को लागू करने के लिए हर साल 620 से 640 लाख टन
खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। साथ ही इससे खाद्य सब्सिडी बिल में भी करीब
20,000 करोड़ रुपये की वृद्धि होने का अनुमान है। वर्तमान में यह एक लाख
करोड़ रुपये के आसपास है।