न्यायमूर्ति आर आर प्रसाद की एकल पीठ ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री मधु
कोडा और विनोद सिन्हा को 2010 में दर्ज प्रदूषण घोटाला मामले में बाइज्जत
बरी करने का फैसला सुनाया.
पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोडा के खिलाफ वर्ष 2010 में झारखंड निगरानी
ब्यूरो ने उनके खिलाफ नब्बे लाख रुपये के प्रदूषण घोटाले में मामला दर्ज
किया था. इससे पहले कोडा के खिलाफ 2009 में चार हजार करोड रुपये से अधिक के
घोटालों के मामले दर्ज हुए थे.
इस मामले में निचली अदालत ने मधु कोडा और उसके सहयोगी विनोद सिन्हा के
खिलाफ आरोप तय कर दिये थे. दोनों ने उच्च न्यायालय में अपील की थी जिसका,
फैसला आज सुनाया गया.
न्यायालय ने मधु कोडा और उसके सहयोगी के खिलाफ निगरानी ब्यूरो द्वारा
पेश सबूतों और गवाहियों को उनके खिलाफ वाद चलाने के लिए पर्याप्त नहीं माना
और उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया.
मधु कोडा पर 2006 से 2008 के बीच मुख्यमंत्रित्व काल में अपने चुनाव
क्षेत्र चाईबासा में गलत ढंग से प्रदूषण बोर्ड के अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी
करवाकर क्रेशर चलाने की अनुमति देने का आरोप था.
यह भी आरोप था कि इन क्रेशर मालिकों से प्रदूषण बोर्ड के प्रमाणन के
बदले रिश्वत ली गयी और इसमें से नब्बे लाख रुपये कोडा के सहयोगी विनोद
सिन्हा ने उसके चुनाव क्षेत्र चाईबासा में व्यय किये थे.
कोडा की तीस नवंबर, 2009 को गिरफ्तारी के बाद से भ्रष्टाचार के किसी भी
मामले में यह पहली सीधी राहत है. इसके अलावा उसे राजीव गांधी ग्रामीण
विद्युतीकरण घोटाला छोडकर अन्य सभी मामलों में उच्च न्यायालय तथा उच्चतम
न्यायालय से जमानत मिल चुकी है. इस समय वह रांची की बिरसा मुंडा जेल में
बंद है.