बिहार में पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण के बाद विभित्र पदों पर महिलाएं
जीत कर आयीं, तो यह कहा जा रहा था कि महिलाएं पंचायत नहीं चला सकती हैं.
वह तो सिर्फ रबर स्टांप रहेंगी. काम तो उनके पति, बेटा, पिता, भाई या कोई
पुरुष रिश्तेदार ही करेंगे, लेकिन महिला जनप्रतिनिधियों ने अपने हौसले नहीं
खोये. पूर्व की महिला जनप्रप्रतिनिधि पुन: पंचायतों में चुन कर आने के बाद
पांच सालों में सीखी गयी बातों को जमीन पर उतारने के लिए व्याकुल हैं.
दूसरी तरफ घर के आंगन की महिलाएं भी पंचायत की पगडंडियों पर अपने सफर की
शुरुआत के लिए उतावली हैं. वह नेतृत्व करना चाहती हैं. अपनी पंचायत का,
अपने समुदाय का, समाज का, जहां अभी बहुत काम करने बाकी हैं. ऐसी ही एक
महिला मुखिया हैं सीवान जिले की बिलासपुर पंचायत की ललिता यादव. इन्होंने
पटना में अपना बुटिक व्यवसाय छोड़ कर राजनीति में कदम रखा. अपनी पारिवारिक
जिम्मेवारी के साथ-साथ पंचायत की जिम्मेवारी अच्छी तरह से निभा रही हैं.
इनसे बातचीत की सुशील ने.