नई दिल्ली। पेट्रो कीमतों में ताजा वृद्धि से नाराजमजदूर संगठन केंद्र
सरकार के खिलाफ पहली बार एक साथ हमला बोलने जा रहे हैं। महंगाई रोकने में
सरकार की नाकामी के खिलाफ 11 केंद्रीय कर्मचारी संगठनों और मजदूर संघों ने
20 फरवरी से दो दिनी राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। भाजपा ने भी
सड़कों पर उतरने का संकेत दिया है।
एटक महासचिव गुरुदास दासगुप्ता ने शनिवार को कहा कि पहली बार सभी
श्रमिक संघ एक साथ आए हैं। सरकार महंगाई, सरकारी उपक्रमों के विनिवेश और
श्रम कानूनों का अनुपालन न होने के मामले में हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
उन्होंने दावा किया कि हड़ताल में दस करोड़ से ज्यादा कामगार शामिल होंगे।
भाजपा से जुड़ी भारतीय मजदूर संघ और कांग्रेस से जुड़ी ऑल इंडिया ट्रेड
यूनियन कांग्रेस (इंटक) के अलावा इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस, हिंद
मजदूर सभा और सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) जैसे संगठनों ने
संयुक्त रूप से हड़ताल का समर्थन किया है। इसके अलावा सड़क परिवहन, पोत,
पेट्रोलियम, कोयला, स्टील, निर्माण कार्यो की यूनियनें भी हड़ताल में शामिल
होंगी। बैंकिंग, बीमा और अन्य वित्तीय सेवाएं भी इसमें कूदेंगी। एटक के
राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर ने सभी के लिए पेंशन और बोनस और भविष्य निधि के
लिए लगी सीमा हटाने पर मांग की है। उन्होंने कहा कि सरकार पेट्रोल और डीजल
के दामों का नियंत्रण अपने हाथ में ले।
पूर्व पेट्रोलियम मंत्री राम नाइक ने ईंधन की कीमतों में अस्थिरता के
लिए संबंधित मंत्रालय में बार-बार फेरबदल को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने
कहा कि संप्रग की कोई नीति न होने से भ्रष्टाचार और महंगाई से जनता कराह
रही है।
हमारी सुन नहीं रही सरकार : करुणानिधि
चेन्नई। संप्रग सहयोगी द्रमुक के मुखिया एम. करुणानिधि ने पेट्रोलियम
पदार्थो की कीमतों में बार-बार बढ़ोतरी पर कहा है कि सरकार हमारी सुन नहीं
रही है। उन्होंने इस मसले की तुलना मछुआरों पर श्रीलंकाई सैनिकों के हमले
से की। करुणानिधि ने कहा कि लगातार विरोध के बावजूद मछुआरों पर हमले जारी
हैं। इसी तरह पेट्रो पदार्थो के मामले में आलोचना के बाद सरकार बेफिक्र है।
केंद्र को मूल्य निर्धारण व्यवस्था अपने हाथ में लेनी चाहिए।