राज्यों के तेवर देख केंद्र ने बदला रुख

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खाद्य मंत्रियों के सम्मेलन
में बुधवार को राज्यों के तेवर देखकर केंद्र ने अपना रुख बदल लिया है।
राज्यों की आशंका को खारिज करते हुए सरकार ने खाद्यान्न आवंटन में किसी भी
तरह की कटौती से इंकार किया है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों की
चिंताओं का जिक्र करते हुए कहा कि विधेयक के प्रावधानों पर अमल में आने
वाले खर्च में भी केंद्र हाथ बंटाएगा। खाद्य सुरक्षा विधेयक के क्रियान्वयन
से केंद्र सरकार पर 1.20 लाख करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। यह मौजूदा खाद्य
सब्सिडी के मुकाबले लगभग 30 हजार करोड़ ज्यादा होगा।

थॉमस ने गुरुवार को यहां खाद्य सुरक्षा विधेयक पर उठ रही आशंकाओं के
बारे में पूछे गए सवालों का विस्तार से जवाब दिया। उत्तर प्रदेश, पंजाब,
तमिलनाडु और केरल जैसे सूबों की कठिनाइयों के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी
राज्य को इसे लेकर चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। विधेयक के
क्रियान्वयन से प्रत्येक चिन्हित व्यक्ति को पांच किलो अनाज प्राप्त करने
का कानूनी हक मिल जाएगा। राज्य सरकारें अपने हिसाब से जितना चाहें अनाज दे
सकती हैं।

खाद्यान्न की मौजूदा मात्रा की आपूर्ति उन्हें होती रहेगी। वैसे, इस बात
पर खाद्य मंत्री चुप्पी साध गए कि दिए जाने वाले अतिरिक्त खाद्यान्न का
मूल्य क्या होगा? मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक अतिरिक्त अनाज की आपूर्ति
लागत मूल्य पर हो सकती है। राशन प्रणाली पर आने वाले अतिरिक्त खर्च का बोझ
राज्यों पर डालने को लेकर खाद्य मंत्रियों ने एतराज जताया था। इस पर थॉमस
ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार हाथ बंटाने के लिए तैयार है। उन्होंने
विधेयक को हर हाल में बजट सत्र में पारित करा लेने का दावा भी किया।

विधेयक के कानून बन जाने के कितने दिनों बाद यह प्रभावी हो जाएगा, इस
सवाल पर खाद्य मंत्री ने कहा कि इसे लागू करने का दायित्व राज्य सरकारों का
है। वैसे, इसके लिए एक साल का समय मुकर्रर किया जाएगा। ध्वस्त राशन
प्रणाली के भरोसे इसे लागू करने में वाली चुनौतियों का सवाल भी उठा। इस पर
उनका जवाब था कि इसके लिए तेजी से काम हो रहा है। सभी राज्यों में राशन
प्रणाली का शत प्रतिशत कंप्यूटीकरण होगा। इसकी सफलता से राज्यों को सबसे
ज्यादा फायदा होगा।

वर्तमान में राशन प्रणाली और अन्य कल्याण योजनाओं के लिए 5.5 करोड़ टन
अनाज की जरूरत होती है। खाद्य कानून के आने पर 6 से 6.5 करोड़ टन खाद्यान्न
की आवश्यकता का अनुमान लगाया गया है। मंत्रालय अगले एक सप्ताह में विधेयक
के संशोधित प्रारूप को अंतिम रूप दे देगा।

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