लहसुन बिक रहा 50 पैसे प्रति किलो

जहां एक तरफ प्याज के दाम आसमान छू रहे हैं वहीं लहसुन के भाव में
भारी कमी आई है। थोक मंडी में हालात यह हैं कि किसानों से पचास पैसे से दो
रूपये प्रति किलो में भी कोई लहसुन खरीदने को तैयार नहीं है।


पिछले
साल इसी माह में लहसुन के दाम 50-60 रूपये प्रति किलो थे जबकि इस साल
लहसुन का 40 किलो का कट्टा केवल 20 रूपये में भी बेचा जा रहा है।


इसके
पीछे वजह मांग में कमी के साथ-साथ जिले में लहसुन की प्रोसेसिंग यूनिट
नहीं होना भी बताया जा रहा है। एक उद्यानिकी अधिकारी ने भी इस बात की
पुष्टि की है कि जिले में लहसुन की प्रोसेसिंग यूनिट नहीं से होने से
किसानों को लहसुन के उचित दाम नहीं मिल रहे हैं।


पिछली कई सालों
में लहसुन की उपज बढ़ी है। एक दशक में फरवरी महीने में लहसुन के दाम 50-200
रूपये प्रति किलो तक रहने के चलते किसानों ने लहसुन की बड़ी मात्रा में
बुवाई कर स्टॉक कर लिया।


अब मांग न होने के कारण व्यापारी मंडियों
में किसानों के लहसुन को प्लेटफार्मों पर नहीं उतार रहे हैं। उद्यान विभाग
के मुताबिक जिले मे वर्ष 2012 में लहसुन की बुवाई तीन सौ हैक्टेयर में हुई
है।


लेकिन जयपुर में स्थिति इससे उलट है। सीकर में जहां 50 पैसे
प्रति किलो पर भी लहसुन खरीदा नहीं जा रहा है वहीं जयुपर में यह मंडियों
में 8 से 10 रूपये प्रति किलो तक बेचा जा रहा है। उधर, खुदरा के भाव तो
इससे भी ज्यादा 14 से 15 रूपए प्रति किलो हैं।

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