उत्तर भारत में स्‍वाइन फ्लू का कहर….

नयी दिल्लीः दिल्ली पर स्वाइन फ्लू का शिकंजा कसता जा रहा है. अब तक
एनसीआर में इस खतरनाक बीमारी से 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 60 मरीज़
अस्पताल में भर्ती हैं. अगर जल्‍द ही इस बीमारी पर काबू नहीं पाया गया, तो
इसके और घातक नतीजे सामने आ सकते हैं.

मामला गंभीर होने से पहले ठोस तैयारी
सेहत और जान का दुश्मन स्‍वाइन फ्लू फिर से देश की राजधानी में दाखिल हो
चुका है, जिसने तीन साल पहले पूरे देश में कोहराम मचाया था. तब स्वाइन फ्लू
की चपेट में आकर कई लोगों ने अपनी जान गंवाई थी. यही वजह है कि स्‍वाइन
फ्लू पर रोकथाम के लिए दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुवार को
हालात का जायाज़ लेने के लिए आपात बैठक बुलाई.
संक्रमण को फैलने से रोकना बड़ी चुनौती
अगर दिल्ली की बात करें, तो अब तक 3 लोग स्वाइन फ्लू का शिकार हो चुके
हैं. गुड़गांव में भी स्वाइन फ्लू से एक शख्‍स की मौत हो चुकी है. दहशत
इसलिए भी ज्यादा है कि स्वाइन फ्लू से अकेले राजधानी में करीब 60 लोग
पीड़ित हैं, जिनका इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है. सरकार और प्रशासन
के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसे रोकने की है. संक्रामक रोग होने की वजह से
स्वाइन फ्लू तेजी से लोगों को अपना शिकार बनाता है.
तैयार किए गए अलग वार्ड
राजधानी दिल्ली के कई अस्पतालों में स्वाइन फ्लू से लड़ने की तैयारी शुरू
हो चुकी है. स्वाइन फ्लू के इलाज के लिए दिल्ली के 24 सरकारी और 5 प्राइवेट
अस्पतालों में अलग वार्ड तैयार किए गए हैं. 5 सरकारी अस्पतालों में जांच
की सुविधा भी मुहैया कराई जा रही है.
H1N1 वायरस से फैलती है बीमारी
स्वाइन फ्लू को H1N1 फ्लू भी कहते हैं, जो H1N1 वायरस से फैलता है. यह
बीमारी खतरनाक है और सरकार चौकन्नी हो गई है इस बीमारी से निपटने के लिए जो
इंतजाम और कोशिशें चल रही हैं, उसका जायजा लेने के लिए दिल्ली के
स्वास्थ्य मंत्री ने गुरुवार की दोपहर को एक आपात बैठक बुलाई.
खास सावधानी बरतने की जरूरत
हवा से फैलने वाली इस जानलेवा बीमारी की रोकथाम के लिए सरकार और प्रशासन
ने कमर कस ली है. लेकिन उन सबसे ज्यादा तैयारी आम लोगों को करनी होगी. अगर
बीमारी के जाल से लोगों को बचना है, तो साफ-सफाई के साथ साथ खानपान पर भी
ध्यान देना होगा, ताकि स्वाइन फ्लू का वायरस शिकार न बना सके. स्वाइन फ्लू
खतरनाक है, लेकिन खौफ के साए में रहने की जरूरत नहीं है. अगर इस बीमारी के
लक्षण दिखते हैं, तो फौरन डॉक्टर की सलाह लीजिए. यह बीमारी जानलेवा हो सकती
है, पर लाइलाज कतई नहीं.
राजस्‍थान पर सबसे ज्‍यादा कहर
गौरतलब है कि इस साल राजस्थान ने स्वाइन फ्लू का सबसे ज्यादा कहर झेला है.
वहां महज 37 दिनों में 26 लोगों की जान जा चुकी है. स्वाइन फ्लू की सबसे
कड़ी मार जोधपुर पर पड़ी है. हालात बिगड़ने के बाद सरकार की नींद टूटी. अब
इस बीमारी की रोकथाम और इलाज के कारगर उपाय तलाशे जा रहे हैं.

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