नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। दूसरी हरित क्रांति को सफल बनाने के
लिए फसलों की उत्पादकता बढ़ाना और उत्पाद को खेत से खलिहान तक सुरक्षित
पहुंचाना जरूरी हो गया है। इस सिलसिले में सरकार खेती में मशीनों के उपयोग
को बढ़ावा देने पर विचार कर रही है। इसके लिए एक मिशन शुरू करने की तैयारी
है। इसमें छोटी जोत वाले किसानों को स्वयं सहायता समूहों के जरिये खेती में
मशीनों का उपयोग बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
मिशन के मसौदे के अनुसार लघु व सीमांत किसानों को स्वयं सहायता समूह और
सहकारी संस्था बनाने पर सरकार की ओर से वित्तीय मदद मुहैया कराई जाएगी। यह
सहायता इन समूहों को खेती में इस्तेमाल होने वाले मशीनों की खरीद के लिए
दी जाएगी। खेती वाली भूमि में वृद्धि का रास्ता लगभग बंद हो चुका है। साथ
ही संसाधन भी सीमित हो गए हैं। इसके मुकाबले खाद्यान्न की मांग में लगातार
इजाफा हो रहा है। इसे पूरा करने के लिहाज से इस तरह के उप मिशन की जरूरत
महसूस की गई है।
कृषि उत्पादकता बढ़ाने के लिए अब तक अच्छी प्रजाति के बीज, पौष्टिक खाद
और सिंचाई की सुविधाएं मुहैया कराई जाती रही हैं। मगर खेती में मशीनों का
उपयोग बड़े किसानों तक ही सीमित हो गया है। देश में 80 फीसद से अधिक किसान
छोटे व सीमांत वर्ग के हैं, जो महंगी मशीनें खरीदने में सक्षम नहीं हैं।
खेतिहर मजदूरों की कमी को पूरा करने में भी खेती में मशीनों का उपयोग जरूरी
हो गया है। दूसरी ओर, खेत से खलिहान के बीच ही कृषि उत्पादों का 27 फीसद
हिस्सा खराब हो जाता है। इस क्षति को रोकना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है।
केंद्र सरकार की ओर से कृषि उपकरणों की खरीद के लिए अभी आधा दर्जन से अधिक
योजनाओं के तहत सब्सिडी दी जाती है। मगर अब इन सारी योजनाओं को जोड़ दिया
जाएगा। इनमें फसल विशेष के लिए दी जाने वाली मदद भी शामिल है।