अच्छा आर्थिक माहौल देने में पंजाब 12 वें स्थान पर
चंडीगढ़. निवेश की संभावनाएं आंकने वाले इकोनॉमिक्स फ्रीडम इंडेक्स (इएफआई) में पंजाब देश के बीस बड़े राज्यों में 12वें स्थान पर लुढ़क गया है।
हालांकि, पिछले दो साल ने पंजाब न तो ग्रोथ की है और न ही नीचे आया है, लेकिन कई दूसरे राज्यों ने तेजी से विकास कर उसे पीछे छोड़ दिया है। किसी समय नंबर वन रहे पंजाब के 12वें स्थान तक लुढ़कने पर आर्थिक विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है।
इकोनॉमिक फ्रीडम ऑफ द स्टेट्स ऑफ इंडिया-2012 की रिपोर्ट रिलीज करते हुए करते हुए आर्थिक विशेष स्वामीनाथन अय्यर ने इसके कारणों की व्याख्या भी की है। रिपोर्ट में गुजरात पहले नंबर पर है, जबकि बिहार का 20 वां स्थान है।
अय्यर ने कहा-‘ऐसा नहीं है कि पंजाब में कुछ बुरा हो रहा है, बल्कि हकीकत यह है कि अब अन्य राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 2005 में पंजाब का इकनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में छठा स्थान था।
कभी नंबर वन रहे पंजाब के पिछड़ने के क्या रहे कारण
निशुल्क बिजली
किसानों को निशुल्क बिजली देने के लिए राज्य को 5800 करोड़ रु. खर्च करने पड़ते हैं। यह पूरी सब्सिडी का लगभग 25 फीसदी है। इस वजह से सरकार कैपिटल इन्वेस्टमेंट नहीं कर पाती। बिजली-पानी मुफ्त है, इसलिए किसान ऐसी तकनीक नहीं अपना रहे हैं जिससे पानी की लागत कम हो।
वित्तीय घाटा
घाटा पूरा करने और रोजाना खर्च के लिए सरकार कर्ज ले रही है। सालाना 6600 करोड़ रुपए ब्याज के देने पड़ रहे हैं, जो कुल आमदनी का करीब 28 फीसदी है। घाटा कम करने के लिए सरकार ने फिस्कल रिसपॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट बनाया था, लेकिन लागू नहीं कर पाई।
फोकस सिर्फ कृषि पर
सरकार ने सर्विस सेक्टर और आईटी सेक्टर बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई। शिक्षा और स्वास्थ्य पर पंजाब देश भर में सबसे कम खर्च कर रहा है। शिक्षा पर 7.7 फीसदी और हेल्थ पर 5.5 फीसदी खर्च किया जा रहा है। जबकि राष्ट्रीय औसत 14.9 फीसदी है। पूरा फोकस कृषि सेक्टर पर है।
कृषि पर भारी टैक्स
कृषि पर भारी टैक्सों (14.5 फीसदी) के कारण एग्रो आधारित इंडस्ट्री पंजाब में नहीं आ रही है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जो कभी हरित क्रांति की अगुवा थी, में लंबे समय से किसी नई वैरायटी पर रिसर्च नहीं हुई है। नया मंडीकरण एक्ट न होने की वजह से कंपनियां सीधे किसानों से खरीद नहीं कर पा रही हैं। ऐसा न होने से प्रतिस्पर्धा कम है।
महंगी जमीन
टाटा नैनो का प्लांट सबसे पहले पंजाब में प्रस्तावित था। लेकिन, महंगी जमीन और कई प्रकार के टैक्सों के कारण टाटा ग्रुप ने यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाया। राज्य में जमीन की ऊंची कीमतों में ब्लैक मनी का अहम रोल रहता है। पंजाब में अधिकतर जमीन उपजाऊ है, इसलिए कीमतें अधिक हैं।
ये दिए सुझाव
पंजाब को पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ाना होगा।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से एजुकेशन, हेल्थ, बिजली, रोड और ट्रांसपोर्टमें भी निवेश बढ़ाना पड़ेगा।
लॉन्ग टर्म लैंड लीज देने के लिए नए कानून लाने होंगे। इससे सुधार होगा।
क्या है इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स?
देश-विदेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के ग्रुप की ओर से तैयार विभिन्न राज्यों की आर्थिक नीतियों की रिपोर्ट को इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स कहा जाता है। यह देश की विभिन्न राज्य सरकारों की नीतियों का अध्ययन करती है, जो यह समझने के लिए होती है कि किस राज्य में निवेश करने में क्या कठिनाई आएगी और कहां निवेश करना सही रहेगा।
इसलिए जरूरी है रिपोर्ट
राज्य सरकारें इस रिपोर्ट के आधार पर अपनी नीतियों में सुधार कर सकती हैं और कमियों को दूर कर सकती हैं। जर्मनी के पॉलिटिकल इकनॉमिक ग्रुप की ओर से प्रायोजित इस रिपोर्ट में बिबेक रॉय, लवीश भंडारी, स्वामीनाथन अय्यर और अशोक गुलाटी जैसे अर्थशास्त्रियों की विभिन्न सेक्टर्स पर अपनी राय दी है।
हरियाणा और हिमाचल पंजाब से आगे क्यों?
हरियाणा को दिल्ली के करीब होने का लाभ मिला है। फरीदाबाद, गुड़गांव जैसे जिलों में हेवी इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर ने पांव पसारे हैं। हिमाचल ने 2003 से कर रियायतें लागू हैं। तब से वहां कई उद्योग लगे हैं। पंजाब की भी कई कंपनियों ने पलायन किया है।
निवेश से जुड़े भ्रम
पंजाब के बारे में कुछ मिथ हैं कि पंजाब सीमावर्ती प्रांत है और पाकिस्तान के साथ सीमा लगी होने के कारण राज्य में औद्योगिक निवेश नहीं हो रहा है।
लेकिन : गुजरात और राजस्थान भी पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते हैं वहां सबसे ज्यादा औद्योगिकीकरण क्यों हो रहा है? हरियाणा पंजाब से जब टूटा तो यह सबसे पिछड़ा क्षेत्र था, लेकिन आज यही राज्य बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है।
चंडीगढ़. निवेश की संभावनाएं आंकने वाले इकोनॉमिक्स फ्रीडम इंडेक्स (इएफआई) में पंजाब देश के बीस बड़े राज्यों में 12वें स्थान पर लुढ़क गया है।
हालांकि, पिछले दो साल ने पंजाब न तो ग्रोथ की है और न ही नीचे आया है, लेकिन कई दूसरे राज्यों ने तेजी से विकास कर उसे पीछे छोड़ दिया है। किसी समय नंबर वन रहे पंजाब के 12वें स्थान तक लुढ़कने पर आर्थिक विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है।
इकोनॉमिक फ्रीडम ऑफ द स्टेट्स ऑफ इंडिया-2012 की रिपोर्ट रिलीज करते हुए करते हुए आर्थिक विशेष स्वामीनाथन अय्यर ने इसके कारणों की व्याख्या भी की है। रिपोर्ट में गुजरात पहले नंबर पर है, जबकि बिहार का 20 वां स्थान है।
अय्यर ने कहा-‘ऐसा नहीं है कि पंजाब में कुछ बुरा हो रहा है, बल्कि हकीकत यह है कि अब अन्य राज्य तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 2005 में पंजाब का इकनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स में छठा स्थान था।
कभी नंबर वन रहे पंजाब के पिछड़ने के क्या रहे कारण
निशुल्क बिजली
किसानों को निशुल्क बिजली देने के लिए राज्य को 5800 करोड़ रु. खर्च करने पड़ते हैं। यह पूरी सब्सिडी का लगभग 25 फीसदी है। इस वजह से सरकार कैपिटल इन्वेस्टमेंट नहीं कर पाती। बिजली-पानी मुफ्त है, इसलिए किसान ऐसी तकनीक नहीं अपना रहे हैं जिससे पानी की लागत कम हो।
वित्तीय घाटा
घाटा पूरा करने और रोजाना खर्च के लिए सरकार कर्ज ले रही है। सालाना 6600 करोड़ रुपए ब्याज के देने पड़ रहे हैं, जो कुल आमदनी का करीब 28 फीसदी है। घाटा कम करने के लिए सरकार ने फिस्कल रिसपॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट बनाया था, लेकिन लागू नहीं कर पाई।
फोकस सिर्फ कृषि पर
सरकार ने सर्विस सेक्टर और आईटी सेक्टर बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई। शिक्षा और स्वास्थ्य पर पंजाब देश भर में सबसे कम खर्च कर रहा है। शिक्षा पर 7.7 फीसदी और हेल्थ पर 5.5 फीसदी खर्च किया जा रहा है। जबकि राष्ट्रीय औसत 14.9 फीसदी है। पूरा फोकस कृषि सेक्टर पर है।
कृषि पर भारी टैक्स
कृषि पर भारी टैक्सों (14.5 फीसदी) के कारण एग्रो आधारित इंडस्ट्री पंजाब में नहीं आ रही है। पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, जो कभी हरित क्रांति की अगुवा थी, में लंबे समय से किसी नई वैरायटी पर रिसर्च नहीं हुई है। नया मंडीकरण एक्ट न होने की वजह से कंपनियां सीधे किसानों से खरीद नहीं कर पा रही हैं। ऐसा न होने से प्रतिस्पर्धा कम है।
महंगी जमीन
टाटा नैनो का प्लांट सबसे पहले पंजाब में प्रस्तावित था। लेकिन, महंगी जमीन और कई प्रकार के टैक्सों के कारण टाटा ग्रुप ने यह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाया। राज्य में जमीन की ऊंची कीमतों में ब्लैक मनी का अहम रोल रहता है। पंजाब में अधिकतर जमीन उपजाऊ है, इसलिए कीमतें अधिक हैं।
ये दिए सुझाव
पंजाब को पाकिस्तान के साथ कारोबार बढ़ाना होगा।
पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से एजुकेशन, हेल्थ, बिजली, रोड और ट्रांसपोर्टमें भी निवेश बढ़ाना पड़ेगा।
लॉन्ग टर्म लैंड लीज देने के लिए नए कानून लाने होंगे। इससे सुधार होगा।
क्या है इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स?
देश-विदेश के प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों के ग्रुप की ओर से तैयार विभिन्न राज्यों की आर्थिक नीतियों की रिपोर्ट को इकोनॉमिक फ्रीडम इंडेक्स कहा जाता है। यह देश की विभिन्न राज्य सरकारों की नीतियों का अध्ययन करती है, जो यह समझने के लिए होती है कि किस राज्य में निवेश करने में क्या कठिनाई आएगी और कहां निवेश करना सही रहेगा।
इसलिए जरूरी है रिपोर्ट
राज्य सरकारें इस रिपोर्ट के आधार पर अपनी नीतियों में सुधार कर सकती हैं और कमियों को दूर कर सकती हैं। जर्मनी के पॉलिटिकल इकनॉमिक ग्रुप की ओर से प्रायोजित इस रिपोर्ट में बिबेक रॉय, लवीश भंडारी, स्वामीनाथन अय्यर और अशोक गुलाटी जैसे अर्थशास्त्रियों की विभिन्न सेक्टर्स पर अपनी राय दी है।
हरियाणा और हिमाचल पंजाब से आगे क्यों?
हरियाणा को दिल्ली के करीब होने का लाभ मिला है। फरीदाबाद, गुड़गांव जैसे जिलों में हेवी इंडस्ट्री और सर्विस सेक्टर ने पांव पसारे हैं। हिमाचल ने 2003 से कर रियायतें लागू हैं। तब से वहां कई उद्योग लगे हैं। पंजाब की भी कई कंपनियों ने पलायन किया है।
निवेश से जुड़े भ्रम
पंजाब के बारे में कुछ मिथ हैं कि पंजाब सीमावर्ती प्रांत है और पाकिस्तान के साथ सीमा लगी होने के कारण राज्य में औद्योगिक निवेश नहीं हो रहा है।
लेकिन : गुजरात और राजस्थान भी पाकिस्तान की सीमा के साथ लगते हैं वहां सबसे ज्यादा औद्योगिकीकरण क्यों हो रहा है? हरियाणा पंजाब से जब टूटा तो यह सबसे पिछड़ा क्षेत्र था, लेकिन आज यही राज्य बहुत तेजी से तरक्की कर रहा है।