बिहार सबसे तेजी से बढता राज्य,गुजरात पिछडा

नयी दिल्ली : एक बडे बदलाव के तहत बिहार देश के सबसे तेजी से बढते राज्य
के रुप में उभरकर सामने आया है. 10.9 फीसद की आर्थिक वृद्धि दर के साथ
बिहार ने गुजरात को पीछे छोड दिया. योजना आयोग के आंकडों के अनुसार 2001-05
की अवधि में बिहार सबसे धीमी गति से बढता राज्य था और इसकी आर्थिक वृद्धि
दर 2.9 प्रतिशत थी.

2006 से 2010 के दौरान इसकी वृद्धि दर 10.9 प्रतिशत पर पहुंच गई है. इससे
अब यह बीमारु राज्य नहीं रह गया है. वहीं दूसरी ओर गुजरात 2001 से 2005 के
दौरान 11 फीसद की वृद्धि दर के साथ सबसे आगे था. लेकिन 2006 से 2010 के
दौरान इसकी वृद्धि दर घटकर 9.3 प्रतिशत पर आ गई है. वृद्धि दर के मामले में
यह बिहार के अलावा चार और राज्यों छत्तीसगढ, हरियाणा, महाराष्ट्र और ओडिशा
से पीछे रह गया. दिलचस्प तथ्य यह है कि 17 तेजी से बढते राज्यों में
गुजरात एकमात्र राज्य है जिसकी वृद्धि दर घटी.

अवधि में छत्तीसगढ की वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत से 10 प्रतिशत पर पहुंच गई
है. हरियाणा की वृद्धि दर 8.4 से 9.7 प्रतिशत हो गई है, जबकि महाराष्ट्र
की वृद्धि दर 8.2 से 9.6 प्रतिशत तथा ओडिशा की 7.8 से 9.4 प्रतिशत हो गई
है. 11वीं योजनावधि में शीर्ष पांच राज्यों औसत वृद्धि दर 9.10 प्रतिशत
रही. 10वीं योजना में यह 7 प्रतिशत और नौवीं योजना में 5 प्रतिशत थी. निचले
पांच राज्यों की औसत वृद्धि दर 11वीं योजना में 8.58 प्रतिशत रही, जो
10वीं योजना में 6.76 प्रतिशत और नौवीं योजना में 4.12 प्रतिशत थी. 2004-05
से 2011-12 की अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में खपत में 300 प्रतिशत का औसत
इजाफा हुआ.

-बिहार विशेष राज्य का मापदंड पूरा नहीं करता-

योजना आयोग ने कहा है कि बिहार विशेष राज्य का दर्जा पाने का मापदंड
पूरा नहीं करता है. योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने आज
यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘बिहार विशेष राज्य के दर्जे के मौजूदा मापदंड
को पूरा नहीं करता है. हम जानते हैं कि बिहार और कुछ हिस्सों में विशेष
समस्याएं हैं. पिछडा क्षेत्र अनुदान कोष के तहत हमारे पास बिहार पैकेज
है.’’

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में कल होने वाली राष्ट्रीय
विकास परिषद की बैठक से पहले मीडिया से बातचीत में अहलूवालिया ने यह बात
कही. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले सप्ताह कहा था कि वह
राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने
का मुद्दा उठाएंगे. विशेष दर्जा मिलने पर राज्य में निजी निवेश आता है,
क्योंकि निवेशकों को कर छूट मिलती है. नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री से भी
मुलाकात कर उन्हें बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर
छह पृष्ठ का पत्र सौंपा था.

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