मात्र 65 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी वृद्धि लागत बढ़ोतरी के मुकाबले बहुत कम
पंजाब और हरियाणा के किसानों ने गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य
(एमएसपी) में सरकार द्वारा की गई 65 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी को
नामंजूर कर दिया है। किसानों ने गेहूं उत्पादन की बढ़ी लागत के मुकाबले
एमएसपी में बढ़ोतरी अपर्याप्त बताई है।
किसानों ने मांग की है कि सरकार को गेहूं के एमएसपी में बढ़ोतरी प्रमुख
कृषि वैज्ञानिक एम. एस. स्वामीनाथन के सुझाव के अनुसार करनी चाहिए।
उन्होंने उत्पादन लागत के साथ 50 फीसदी मार्जिन जोड़कर एमएसपी तय करने का
सुझाव दिया था। जबकि कुछ किसानों में एमएसपी में 100 रुपये प्रति क्विंटल
बढ़ोतरी करने की मांग की है।
जिससे मजदूरी, उर्वरक और डीजल जैसे खर्च की लागत में बढ़ोतरी की भरपाई
हो सके। आंदोलित किसानों ने एमएसपी में 65 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी
को बहुत मामूली बताया है और सरकार के इस फैसले को किसान विरोधी माना है।
गौरतलब है कि आर्थिक मामलों की आर्थिक कमेटी (सीसीईए) ने एमएसपी 65 रुपये
बढ़ाकर 1350 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। पिछले साल एमएसपी 1285 रुपये
प्रति क्विंटल था।
करनाल के गेहूं उत्पादक किसान वी. के. कपूर ने कहा कि गेहूं उगाने की
बढ़ी लागत को देखते हुए एमएसपी में 65 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी
अपर्याप्त है। उन्होंने कहा कि लागत में बढ़ोतरी तेजी के साथ होने के कारण
खेती करना फायदे का पेशा नहीं रह गया है। सरकार को स्वामीनाथन का सुझाव
स्वीकार करते हुए कम से कम 100 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी करनी चाहिए
थी।