नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री मनमोहन सिह ने मौजूदा आर्थिक परिवेश को कठिन
बताते हुए 12 पंचवर्षीय योजना में आठ प्रतिशत वृद्धि के घटाए गए लक्ष्य को
हासिल करने के लिए पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढाने और सब्सिडी में कटौती
जैसे कठोर निर्णय लिये जाने का संकेत दिया है.
राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की आज यहां विज्ञान भवन में आयोजित 57वीं
बैठक का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने आठ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि के
लक्ष्य को भी महत्वकांक्षी करार दिया. उन्होंने कहा कि पुराने ढर्रे पर
चलने से काम नहीं बनने वाला. देश में ईंधन के दाम काफी कम है, इनमें धीरे-
धीरे संशोधन करना होगा.
12वीं योजना (वर्ष 2012 से 2017) के दृष्टिकोण दस्तावेज में इससे पहले 8.2
प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया था. वैश्विक मंदी और घरेलू अर्थव्यवस्था
में आयी नरमी को देखते हुये योजना आयोग ने इसमें सुधार करते हुए 8 प्रतिशत
वृद्धि लक्ष्य हासिल करने पर जोर दिया है.
प्रधानमंत्री ने बिजली और पानी इन दो क्षेत्रों को अर्थव्यवस्था के लिये
महत्वूपर्ण बताया. उन्होंने कहा हमारी पहली प्राथमिकता अर्थव्यवस्था में आ
रही सुस्ती को समाप्त कर इसे वापस वृद्धि के रास्ते पर लाने की होनी चाहिए.
उन्होंने कहा हम वैश्विक अर्थव्यवस्था को तो नहीं बदल सकते हैं लेकिन
घरेलू बाधाओं को दूर करने के लिए हम कुछ कर सकते हैं. मनमोहन ने आर्थिक
वृद्धि की रफ्तार तेज करने पर जोर देते हुए कहा कि आर्थिक वृद्धि बढाने के
पीछे हमारा वास्तविक मकसद आम आदमी के जीवन स्तर में सुधार लाना होना चाहिए.
सरकार इसीलिए सर्वसमावेशी विकास पर जोर देती रही है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनकल्याण के कई कार्यक्रमों को चलाने के लिए अधिक
राजस्व जुटाने की आवश्यकता है. राजस्व बढाने के लिये तीव्र आर्थिक वृद्धि
जरुरी है. आर्थिक वृद्धि यदि धीमी पडी तो केंद्र और राज्य कोई भी जन साधारण
की प्रगति के कार्यक्रमों को आगे नहीं बढा पायेंगे. ऐसे में या तो हमें इन
कार्यक्रमों में कटौती करनी पडेगी या फिर ऊंचा राजकोषीय घाटा झेलना पडेगा,
जिसके दूसरे नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा इस मामले में कर सुधार महत्वपूर्ण होंगे. वस्तु एवं
सेवाकर (जीएसटी) को जल्द लागू किया जाना महत्वपूर्ण होगा. मुझे उम्मीद है
कि जीएसटी को जितनी जल्दी हो सके लागू करने में राज्यों का सहयोग
मिलेगा.सब्सिडी कटौती पर भी प्रधानमंत्री ने विशेष जोर दिया.
उन्होंने कहा कि 12वीं योजना में सब्सिडी पर नियंत्रण की जरुरत बताई गई
है. किसी भी सामाजिक ताने बाने में कुछ सब्सिडी उसका सामान्य हिस्सा होती
है लेकिन सब्सिडी बेहतर और प्रभावी प्रणाली के तहत होनी चाहिये. सब्सिडी
वित्तीय क्षमता को ध्यान में रखते हुए एक दायरे में होनी चाहिए.
सब्सिडी पर नियंत्रण यदि नहीं रहा तो इसका मतलब यही होगा कि दूसरी योजनाओं
में कटौती करनी होगी या फिर राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य से ऊपर निकल जायेगा.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकारी कार्यक्रमों में सुविधाओं के दुरुपयोग
और भ्रष्टाचार की शिकायतें अकसर मिलती हैं.
केंद्र सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिये एक अहम् कदम उठाया है. आधार
संख्या के जरिये एक जनवरी 2013 से छात्रवृति, पेंशन, स्वास्थ लाभ, मनरेगा
तथा कई अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थी के बैंकखाते में पहुंचा
दिया जायेगा.
दिल्ली में युवती के साथ सामूहिक बलात्कार की भयावह घटना को आज यहां
राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) की बैठक में याद करते हुए प्रधानमंत्री
मनमोहन सिंह ने महिला-सुरक्षा को देश का अहम मुद्दा बताया और सभी
मुख्यमंत्रियों से इस पर विशेष ध्यान देने की अपील की.