फ़र्ज़ी जॉब कार्ड और फ़र्ज़ी मास्टर रोल की बदौलत करीब 6 हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगा है. ये खुलासा एक एनजीओ सेंटर फॉर इन्वायरमेंट एंड फूड सिक्योरिटी रिसर्च में हुआ है. अब तक सोई बिहार सरकार ने जांच के आदेश दे दिये है, लेकिन आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने सीबीआई जांच की मांग की है. बिहार के भोजपुर जिले की भरौली पंचायत के टिकठी गांव के मुकुट पासवान का दर्द जानिए. उनका जॉब कार्ड नंबर 40 है. सरकारी रजिस्टर के मुताबिक उन्होंने 20 दिन काम किया लेकिन इन्हीं के नाम पर फर्जी तरीके से 42 दिन काम दिखाकर निकाले गए 5664 रुपए. मुकुट पासवान का कहना है कि दस दिन काम कराया गया और पाँच दिन का साइन कराया और सौ रुपया देकर भगा दिया गया. इसी इलाके के बबन पासवान के जॉब कार्ड नंबर आठ पर भी 18 की जगह 42 दिन का दिखाकर फ़र्ज़ी तरीके से पैसे निकाल लिए गए. बबन पासवान का कहना है कि वे आठ नौ बार काम पर गए और हर बार उन्हें सौ रुपया देकर बाकी पैसे हड़प लिए गए. मुकुट और बबन जैसे भोजपुर में 13 लोग हैं. सिर्फ इनके नाम अलग अलग हैं, लेकिन मुसीबत एक है. काम किया इन्होंने, कमाई हड़प रहा है कोई और.
घोटाले का आंकड़ा-
केंद्र सरकार की मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना में हो रहे घपले में अब बिहार का भी नाम जुड़ गया है और सेंटर फॉर इन्वायरमेंट एंड फूड सिक्योरिटी नाम की संस्था ने दस जिलों का सर्वे करके 6000 करोड़ रुपए के घोटाले का दावा किया है. इनमें, पूर्णिया, कटिहार, बेगूसराय, मुज़फ़्फ़रपुर, वैशाली, नालंदा, नवादा, गया, भोजपुर और बक्सर के नाम शामिल है. बिहार में सैंतीस जिले है और सत्ताइस जिले में सर्वे होने बाकी है. सर्वे के मुताबिक साल 2006-07 से 2011-12 के बीच 8189 करोड रूपए खर्च किए गए जिनमें 73 प्रतिशत राशि का भुगतान गलत ढंग से किया गया है और यही राशि है 6000 करोड़ रुपए. ये घोटाला फर्जी जॉब कार्ड और मस्टर रोल के फर्जीवाड़े के जरिए किया गया. कई नाम के लोग तो मौजूद भी नहीं है और पैसा निकल गया. सीईएसएफ के मुताबिक मुज़फ़्फ़रपुर में तो कई लोगों ने काम पांच दिन किया लेकिन उनके नाम पर 140 दिन का भुगतान उठा लिया गया.मुज़फ़्फ़रपुर के राजकिशोर पासवान का कहना है कि उन्होंने तीन महीने काम किया और जब काम के लिए जाते थे तो मुखिया कहते थे कि काम नहीं है.
जांच के आदेश-
मामला सामने आते ही नीतीश सरकार ने जांच के आदेश देते हुए 30 नवंबर तक रिपोर्ट देने को कहा है लेकिन विपक्ष का सवाल है कि जिन पर आरोप है वो खुद इस मामले की जांच कैसे कर सकते हैं लिहाजा जांच तो सीबीआई की ही होनी चाहिए. इस मामले के सामने आने के बाद से सरकार में खलबली मची हुई हैक्योंकि खुद को पाक-साफ बताते हुए शासन को सुशासन बताने वाली नीतीश सरकार पर शायद पहली बार इतने बड़े घोटाले का आरोप लगा है.