बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान ने दिल्ली-एनसीआर की जान
मुश्किल में डाल दी है। पहले ही भयानक प्रदूषण से जूझ रहा राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र अब ऐसे मौसमी संक्रमण की चपेट में आया है कि हजारों लोग
बीमार हो गए हैं।
पिछले तीन दिन से यहां वातावरण में धुंध और धुएं
जैसी ऐसी परत छाई हुई है कि लोगों को सांस लेना दूभर हो रहा है। आंखों में
चुभन, ब्रान्काटिस, कंजक्टीवाईटिस की शिकायतें आम हो गई हैं। अस्थमा
रोगियों की तो जैसे जान पर ही बन आई है।
मुसीबत के दिन
चेस्ट इन्फेक्शन के मरीज बढ़े
संयुक्त
जिला अस्पताल के श्वांस रोग विशेषज्ञ डा. सहदेव वालियान ने बताया कि इन
दिनों उनके पास अपर रेस्पीरेटरी ट्रैक में इन्फेक्शन के रोजाना दो सौ से
ढाई सौ तक मरीज आ रहे हैं। मौसम में बदलाव की वजह से ब्रान्काटिस और दमा
केमरीजों को भी काफी परेशानी बढ़ गई है। ज्यादातर लोगों को छाती में जकड़न,
कफ जमा होने और सांस लेने मुश्किल की शिकायतें हैं।
आंखों में भी बढ़ेगी दिक्कत
संयुक्त
जिला चिकित्सालय के आई स्पेशलिस्ट डा. संजय तेवतिया ने बताया कि मौसमी
संक्रमण का प्रभाव आंखों पर बहुत ज्यादा पड़ रहा है। इसकी वजह से एलर्जिक
कंजक्टीवाईटिस, आंख का लाल होना, आंखों से पानी आना, खुजली होना आदि समस्या
बढ़ जाएगी। बेक्टेरियल इन्फेक्शन बढ़ जाने पर आंखों के चिपकने की समस्या
भी आ सकती है।
पीसीबी की सुनिए
वातावरण
में हवा का दबाव बढ़ने से हवा में मिट्टी और धूल के कण ऊपर नही जा पा रहे
हैं। तीन चार दिनों के अंदर हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। इसी
वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं।
– टीयू खान, क्षेत्रिय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी
मौसम विज्ञान
वायुमंडल
की हवा में नमी मिली होती है। जब भी तापमान अचानक कम होता है तो हवा की
नमी सूक्ष्म जल कण में बदल जाती है। यही जलकण आसमान में छा जाते हैं। इससे
सूर्य की रोशनी कम हो जाती है। लोग भ्रम की इसे धुआं समझते हैं लेकिन यह
धुआं नहीं है। यहां दिक्कत इसलिए ज्यादा हो रही है, क्योंकि दिल्ली-एनसीआर
में प्रदूषण स्तर बहुत हाई है। यही प्रदूषण जल कण के साथ सांस के माध्यम से
फेफड़ों में जा रहा है, लोग गले और सीने में संक्रमण के शिकार हो रहे हैं।
बड़ी संख्या में लोगों के गले में दर्द, फेफड़ों में इंफेक्शन, कफ, खांसी
जैसी शिकायतें इसी मौसमी संक्रमण का नतीजा हैं।
-प्रो. एचपी सिंह, एमएमएच कॉलेज, भूगोल विभाग
बंगाल
की खाड़ी से उठने वाले चक्रवाती तूफान के चलते हवा का दबाव बढ़ गया है।
एनसीआर में प्रदूषण की अधिकता है। वायुमंडल में नमी और हवा का दबाव अधिक
होने की वजह से प्रदूषण के कण बाहर नहीं निकल पा रहे। यही कारण है कि
दिल्ली-एनसीआर केऊपर धुआं और धुंध जैसी परत बन गई है। मौसम के मिजाज को
देखते हुए अभी कुछ दिन इस धुंध जैसी परत से निजात मिलने की संभावना नहीं
है। बारिश होते ही सबकुछ ठीक हो जाएगा।
– डॉ बाबूराम, कृषि विज्ञान निदेशक मेरठ मंडल
मुश्किल में डाल दी है। पहले ही भयानक प्रदूषण से जूझ रहा राष्ट्रीय
राजधानी क्षेत्र अब ऐसे मौसमी संक्रमण की चपेट में आया है कि हजारों लोग
बीमार हो गए हैं।
पिछले तीन दिन से यहां वातावरण में धुंध और धुएं
जैसी ऐसी परत छाई हुई है कि लोगों को सांस लेना दूभर हो रहा है। आंखों में
चुभन, ब्रान्काटिस, कंजक्टीवाईटिस की शिकायतें आम हो गई हैं। अस्थमा
रोगियों की तो जैसे जान पर ही बन आई है।
मुसीबत के दिन
चेस्ट इन्फेक्शन के मरीज बढ़े
संयुक्त
जिला अस्पताल के श्वांस रोग विशेषज्ञ डा. सहदेव वालियान ने बताया कि इन
दिनों उनके पास अपर रेस्पीरेटरी ट्रैक में इन्फेक्शन के रोजाना दो सौ से
ढाई सौ तक मरीज आ रहे हैं। मौसम में बदलाव की वजह से ब्रान्काटिस और दमा
केमरीजों को भी काफी परेशानी बढ़ गई है। ज्यादातर लोगों को छाती में जकड़न,
कफ जमा होने और सांस लेने मुश्किल की शिकायतें हैं।
आंखों में भी बढ़ेगी दिक्कत
संयुक्त
जिला चिकित्सालय के आई स्पेशलिस्ट डा. संजय तेवतिया ने बताया कि मौसमी
संक्रमण का प्रभाव आंखों पर बहुत ज्यादा पड़ रहा है। इसकी वजह से एलर्जिक
कंजक्टीवाईटिस, आंख का लाल होना, आंखों से पानी आना, खुजली होना आदि समस्या
बढ़ जाएगी। बेक्टेरियल इन्फेक्शन बढ़ जाने पर आंखों के चिपकने की समस्या
भी आ सकती है।
पीसीबी की सुनिए
वातावरण
में हवा का दबाव बढ़ने से हवा में मिट्टी और धूल के कण ऊपर नही जा पा रहे
हैं। तीन चार दिनों के अंदर हवा में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। इसी
वजह से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो रही हैं।
– टीयू खान, क्षेत्रिय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी
मौसम विज्ञान
वायुमंडल
की हवा में नमी मिली होती है। जब भी तापमान अचानक कम होता है तो हवा की
नमी सूक्ष्म जल कण में बदल जाती है। यही जलकण आसमान में छा जाते हैं। इससे
सूर्य की रोशनी कम हो जाती है। लोग भ्रम की इसे धुआं समझते हैं लेकिन यह
धुआं नहीं है। यहां दिक्कत इसलिए ज्यादा हो रही है, क्योंकि दिल्ली-एनसीआर
में प्रदूषण स्तर बहुत हाई है। यही प्रदूषण जल कण के साथ सांस के माध्यम से
फेफड़ों में जा रहा है, लोग गले और सीने में संक्रमण के शिकार हो रहे हैं।
बड़ी संख्या में लोगों के गले में दर्द, फेफड़ों में इंफेक्शन, कफ, खांसी
जैसी शिकायतें इसी मौसमी संक्रमण का नतीजा हैं।
-प्रो. एचपी सिंह, एमएमएच कॉलेज, भूगोल विभाग
बंगाल
की खाड़ी से उठने वाले चक्रवाती तूफान के चलते हवा का दबाव बढ़ गया है।
एनसीआर में प्रदूषण की अधिकता है। वायुमंडल में नमी और हवा का दबाव अधिक
होने की वजह से प्रदूषण के कण बाहर नहीं निकल पा रहे। यही कारण है कि
दिल्ली-एनसीआर केऊपर धुआं और धुंध जैसी परत बन गई है। मौसम के मिजाज को
देखते हुए अभी कुछ दिन इस धुंध जैसी परत से निजात मिलने की संभावना नहीं
है। बारिश होते ही सबकुछ ठीक हो जाएगा।
– डॉ बाबूराम, कृषि विज्ञान निदेशक मेरठ मंडल