भट्रटा पारसौल के किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस

लखनऊ (एजेंसी) उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने वादे पर अमल करते हुए पिछले साल
मई में गौतमबुद्धनगर के भट्रटा तथा परसौल गांव में जमीन अधिग्रहण के विरोध
में पुलिस के साथ हुए संघर्ष के मामले में आरोपित किसानों पर दर्ज मुकदमें
वापस ले लिए हैं।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि निर्दोष
किसानों के विरुद्व दर्ज मुकदमों को जनहित एवं न्यायहित में वापस ले लिया
गया है। सरकार के इस फैसले से भारी संख्या में निर्दोष किसानों को राहत
मिली है।
सरकार ने मई 2011 में पिछली बसपा सरकार के कार्यकाल में
निर्दोष किसानों का उत्पीडन करने की नीयत से दर्ज किये गये मुकदमों को वापस
लेने की घोषणा पहले ही कर दी थी।
ज्ञातव्य है कि संघर्ष समिति के
नेतृत्व में ग्राम भट्रटा व परसौल के किसानों ने मई 2011 में अपनी जमीनों
का मुआवजा बढाए जाने के लिए आन्दोलन किया था। प्रदर्शन के दौरान ही
आन्दोलनरत किसानों के विरुद्ध विभिन्न आरोप लगाकर मुकदमे दर्ज किए गए थे।
इनमें से अधिकतर मुकदमे जनपद गौेतमबुद्धनगर के थाना दनकौर में मानवीर सिंह
तेवतिया ्र प्रेमवीर ्र काले सिंह ्र गजे सिंह ्र किरणपाल ्र धनसिंह और अन्य के विरुद्व दर्ज किए गये थे।
मौजूदा सपा सरकार का
मानना है कि पिछली सरकार ने किसानों पर ये मुकदमें भूमि अधिग्रहण का विरोध
करने तथा वाजिब मुआवजा मांगने पर उनका उत्पीड़न करने की नीयत से लगाए थे।
मुख्यमंत्री
ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पूर्व साइकिल यात्रा के दौरान किसानों की
मांग पर उन्होंने किसानों पर दर्ज किए गऐ झूठे मुकदमें वापस लेने का वादा
किया था। राज्य सरकार ने किसानों से किए गऐ वादे को निभाते हुए भट्रटा व
परसौल के निर्दोष किसानों के विरुद्व कपटपूर्ण ढंग से दर्ज किए गए मुकदमों
को वापस ले लिया है। इस तरह चुनाव के दौरान जनता से किए गए वादों में से एक
और वादा राज्य सरकार ने पूरा कर दिया है।
अखिलेश ने कहा कि इन मुकदमों
का विभिन्न स्तरों पर परीक्षण करने के बाद ही उन्हें वापस लेने का निर्णय
लिया गया। इन मुकदमों के सम्बंध में स्थानीय प्रशासन द्वारा राज्य सरकार को
उपलब्ध कराई गई जानकारी से यह तथ्य संज्ञान में आया कि अधिग्रहीत जमीन का
समुचित मुआवजा न मिलने के कारण ही किसान आन्दोलन के लिए बाध्य हुए थे।

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