अमेठी में स्कूलों से भूखे पेट लौट रहे हैं बच्चे

स्वामीनाथ शुक्ल, अमेठी। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक फरमान
से जिले के 1766 सरकारी स्कूलों में मध्याह्न भोजन योजना संकट में है।
करीब ढाई लाख बच्चे रोजाना स्कूल से भूखे पेट घर लौट रहे है। रसोई गैस की
कीमत बढ़ने से विद्यालयों में भोजन बनना बंद हो गया है। इससे स्कूलों में
सन्नाटा छा गया है। दरअसल, अधिकांश बच्चे स्कूलों में भोजन, वर्दियां, बैग,
वजीफा और सरकारी किताबों की लालसा में पढ़ने जाते हैं। जो इस बार अभी तक
कुछ भी हाथ नही लगा है।
शासन भले इसकी फिक्र नहीं कर रहा पर अभिभावकों
की नींद उड़ गई  है। जिले में दर्जनों ऐसे स्कूल हैं, जहां मिड डे मील योजना
की शुरुआत भी नहीं की गई है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के सस्ती दर पर
एलपीजी सिलेंडर न देने के निर्देश से खाने के बहाने से स्कूल जाने वाले
लाखों छात्रों की पढ़ाई बंद हो गई है। मंत्रालय ने मानव संसाधन विकास
मंत्रालय को साफ कह दिया है कि मध्याह्न भोजन बनाने के लिए वह सस्ती दर पर
एलपीजी गैस नहीं देगा। इसके लिए वह अपने बजट में प्रावधान करें। पेट्रोलियम
मंत्रालय के इस फरमान से मानव संसाधन विकास मंत्रालय मुश्किल में हैं,
क्योंकि इससे जहां लाखों बच्चे प्रभावित होंगे वहीं हजारों लोग बेरोजगार भी
होंगे।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने लिखा है कि 18 सितंबर को हुई कैबिनेट
की बैठक में निर्णय किया गया है कि एक साल में सिर्फ छह सिलेंडर ही सस्ती
दर पर दिए जाएंगे। वित्त मंत्रालय ने सरकारी सहायता कम कर दी है जिससे
सस्ती दर पर सिलेंडर देना संभव नहीं है।
शिक्षकों का कहना है कि जब तक
सरकार मध्याह्न भोजन के कन्वर्जन  कास्ट में बढोतरी नहीं करेगी, तब तक
स्कूलों में भोजन बनना संभव नहीं है। अभी तक छात्रों को वर्दियां भी नहीं मिली हैं जबकि सरकार ने वर्दियों के लिए नौ करोड़ 56
लाख रुपए भेज दिए हैं। सरकारी स्कूल खुले चार महीने बीत चुके हैं लेकिन
सर्व शिक्षा अभियान की निशुल्क पुस्तकें अभी तक छात्रों को नहीं मिल पाई है
जिससे जिले के करीब ढाई लाख छात्रों की पढ़ाई चौपट हो रही है। सरकारी
स्कूलों के अध्यापक कहते है कि स्कूल खुले चार महीने बीत चुके हैं मगर अभी
तक बच्चों को किताबें नहीं मिली हैं, तो शिक्षा में सुधार कहां से होगा।  
भारत
सरकार सर्व शिक्षा अभियान के तहत पिछले एक दशक से स्कूलों में मध्याह्न
भोजन योजना चला रही है। लेकिन अमेठी के पांच विद्यालयों में यह योजना अभी
शुरू ही नहीं कराई गई है। एक दर्जन सहायता प्राप्त स्कूलों में भी योजना
शुरू नहीं कराई गई। इनमें मुकुटनाथ जूनियर स्कूल, रामनगर, रानी सुषमा
मुंशीगंज, शिव प्रताप जूनियर हाई स्कूल आदि का नाम लिया जा सकता है।
शिक्षा
अधिकारी अनुराधा ने बताया कि अमेठी में आठ सहायता प्राप्त जूनियर स्कूल
हैं, जहां बच्चों को मिड डे मील योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी मिलने पर विद्यालयों को पत्र भेजा जा
रहा है।  
बेसिक शिक्षा नियमावली और शिक्षा का अधिकार लागू होने के
बावजूद  सहायता प्राप्त विद्यालयों के प्रधानाचार्यों ने मनमानारवैया अपना
रखा है। जिससे छात्रों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।
जिला
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कहा कि जिले के करीब एक हजार स्कूलो मेंं गैस
कनेक्शन नहीं है। जहां गैस कनेक्शन है, वहां गैस की कीमत बढ़ने से भोजन
बनाने की समस्या खड़ी हो रही है। कुछ स्कूलों में लकड़ी से खाना पकाया जा रहा
है।

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