बिना अनुमति के चुपके से कर लेंगे महिला की एचआईवी जांच

इंदौर। राज्यों एवं जिलों में एचआईवी का स्तर पता लगाने के लिए
जनवरी से सर्वे किया जाएगा। इसकी जांच में महिला की अनुमति जरूरी नहीं है।
यह निर्देश राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण समिति (नाको) ने जारी किए हैं। हालांकि
नियमानुसार एचआईवी की जांच के लिए अनुमति जरूरी होती है। इस पर अधिकारियों
का कहना है कि यह महज एक सर्वे है, इसलिए इसमें अनुमति की आवश्यकता नहीं
है। वहीं सर्वे की विसंगति यह है कि यदि महिला को एचआईवी पॉजीटिव आता है तो
उसे बताया नहीं जाएगा।

हर साल सितंबर-अक्टूबर में नाको द्वारा सेंटिनल प्रिवलेंस सर्वे करवाया
जाता है। इसके बाद ही राज्यों को बीमारी के क्रम में ए, बी, सी और डी
श्रेणी में रखा जाता है, लेकिन इस बार यह जनवरी से शुरू किया जाएगा। सर्वे
के लिए गर्भवती महिलाओं के खून के नमूने लिए जाएंगे। अभी तक एचआईवी एड्स के
मामले में पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है। वहीं मप्र में देवास, रीवा, हरदा,
इंदौर में मरीजों की संख्या ज्यादा है।

व्यक्ति विशेष को नहीं बताए जाते हैं परिणाम

गर्भवती महिलाओं को आम जनता में गिना जाता है, इसलिए इस सर्वे में
उन्हें शामिल किया जाता है। सैंपल केवल उन्हीं महिलाओं के लिए जाते हैं जो
पहली बार अस्पताल आती हैं और जिनका एएनसी रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ हो। महिलाओं
की एचआईवी जांच के लिए उनकी अनुमति जरूरी है, इसलिए अस्पतालों में गर्भवती
महिलाओं को समझाइश देकर उनकी अनुमति लेने के बाद ही जांच की जाती है ।
लेकिन सर्वे के लिए महिलाओं को नहीं बताया जाता। इस बारे में मप्र राज्य
एड्स नियंत्रण के अधिकारियों का कहना हैं कि यह सर्वे है। इसके परिणाम किसी
व्यक्ति विशेष को नहीं बताए जाते हैं। इसलिए अनुमति जरूरी नहीं है।

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