सुरेंद्र सिंघल देवबंद / सहारनपुर, 18 अक्तूबर। बाबा
रामदेव की 28 अक्तूबर को देवबंद के देवीकुंड मैदान पर होने वाली किसान रैली
की तैयारियां यहां जोर-शोर के साथ शुरू हो गई हैं।
रैली के संयोजक भगत सिंह वर्मा इलाके का सघन दौरा कर किसानों से रैली में
पहुंचने की अपील कर रहे हैं। दस अक्तूबर की भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन
गडकरी की सफल रैली के बाद अब लोगों की निगाह उसी मैदान पर होने वाली रामदेव
की रैली पर लग गई है।
भारतीय किसान यूनियन के सर्वेसर्वा रहे महेंद्र
सिंह टिकैत के साथ बरसों किसान हितों के लिए संघर्ष करने वाले भगत सिंह
वर्मा ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य भी नहीं मिल रहा है।
जबकि खेती पर आने वाली लागत में जबरदस्त बढोतरी हो रही है। राज्य सरकार
किसानों को खाद मुहैया नहीं करा पा रही है। जबकि इस समय अच्छी फसलों के लिए
किसान को खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरी
तरह से किसान विरोधी पार्टी है। उन्होंने इस बात पर गहरा दुख जताया कि
उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार चुनावी घोषणा पत्र में किसानों से किए
वायदों को पूरा नहीं कर रही है।
भगत सिंह वर्मा ने कहा कि 28 अक्तूबर
की किसान रैली में बाबा रामदेव किसानों का मार्गदर्शन करेंगे। वर्मा ने
किसानों से जागरूक और एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों के
लिए बाबा रामदेव की रैली को सफल बना कर दिखाने का सुनहरा मौका है। रैली की कामयाबी से किसानों की ताकत और एकजुटता का पता लगेगा और उससे बहरी सरकारों के कान खुलेंगे।
राजनीतिक
विश्लेषकों की निगाहें इस बात पर लगी है कि रामदेव की रैली में कितनी भीड़
जुटेगी। बहरहाल, दस अक्तूबर की नितिन गडकरी की रैली में पहुंची भारी भीड़ ने
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी की लोकप्रियता साबित कर दी थी। अब बाबा
रामदेव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। देखना है कि रामदेव को सुनने कितने
लोग यहां पहुंचते हैं।
वैसे रामदेव इस इलाके के लिए जाना-माना नाम हैं।
28 अक्तूबर को रामदेव का देवबंद आगमन हाल के समय में दूसरा मौका होगा।
इससे पहले वह देवबंदी मसलक के मुसलमानों के सबसे बडेÞ सामाजिक और मजहबी
संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद के जलसे में मौलाना महमूद मदनी के निमंत्रण पर
देवबंद पधारे थे। तब उनकी कही बातों को यहां गौर से सुना गया था और सराहा
भी गया था। जबकि वहां श्रोताओं में 95 फीसद मुसलिम शामिल थे।
देवबंद
दारूल उलूम के कारण मुसलमानों की मजहबी तालीम का विख्यात केंद्र है। देवबंद
गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। यहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
नितिन गडकरी के बोल भी बदल गए थे और जहां उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव और
समन्वयवादी संस्कृति का संदेश दिया था। जिससे लोगों ने भाजपा को नई छवि में
देखा। रामदेव अपनी सभी मुहिमों में मुसलिम उलमा को साथ रखते हैं। देखना यह
है कि अबकी देवबंद में उनकी कैसी रणनीति और शैली सामने आएगी।
रामदेव की 28 अक्तूबर को देवबंद के देवीकुंड मैदान पर होने वाली किसान रैली
की तैयारियां यहां जोर-शोर के साथ शुरू हो गई हैं।
रैली के संयोजक भगत सिंह वर्मा इलाके का सघन दौरा कर किसानों से रैली में
पहुंचने की अपील कर रहे हैं। दस अक्तूबर की भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन
गडकरी की सफल रैली के बाद अब लोगों की निगाह उसी मैदान पर होने वाली रामदेव
की रैली पर लग गई है।
भारतीय किसान यूनियन के सर्वेसर्वा रहे महेंद्र
सिंह टिकैत के साथ बरसों किसान हितों के लिए संघर्ष करने वाले भगत सिंह
वर्मा ने कहा कि किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य भी नहीं मिल रहा है।
जबकि खेती पर आने वाली लागत में जबरदस्त बढोतरी हो रही है। राज्य सरकार
किसानों को खाद मुहैया नहीं करा पा रही है। जबकि इस समय अच्छी फसलों के लिए
किसान को खाद की सबसे ज्यादा जरूरत है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पूरी
तरह से किसान विरोधी पार्टी है। उन्होंने इस बात पर गहरा दुख जताया कि
उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार चुनावी घोषणा पत्र में किसानों से किए
वायदों को पूरा नहीं कर रही है।
भगत सिंह वर्मा ने कहा कि 28 अक्तूबर
की किसान रैली में बाबा रामदेव किसानों का मार्गदर्शन करेंगे। वर्मा ने
किसानों से जागरूक और एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि किसानों के
लिए बाबा रामदेव की रैली को सफल बना कर दिखाने का सुनहरा मौका है। रैली की कामयाबी से किसानों की ताकत और एकजुटता का पता लगेगा और उससे बहरी सरकारों के कान खुलेंगे।
राजनीतिक
विश्लेषकों की निगाहें इस बात पर लगी है कि रामदेव की रैली में कितनी भीड़
जुटेगी। बहरहाल, दस अक्तूबर की नितिन गडकरी की रैली में पहुंची भारी भीड़ ने
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी की लोकप्रियता साबित कर दी थी। अब बाबा
रामदेव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। देखना है कि रामदेव को सुनने कितने
लोग यहां पहुंचते हैं।
वैसे रामदेव इस इलाके के लिए जाना-माना नाम हैं।
28 अक्तूबर को रामदेव का देवबंद आगमन हाल के समय में दूसरा मौका होगा।
इससे पहले वह देवबंदी मसलक के मुसलमानों के सबसे बडेÞ सामाजिक और मजहबी
संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद के जलसे में मौलाना महमूद मदनी के निमंत्रण पर
देवबंद पधारे थे। तब उनकी कही बातों को यहां गौर से सुना गया था और सराहा
भी गया था। जबकि वहां श्रोताओं में 95 फीसद मुसलिम शामिल थे।
देवबंद
दारूल उलूम के कारण मुसलमानों की मजहबी तालीम का विख्यात केंद्र है। देवबंद
गंगा-जमुनी तहजीब के लिए जाना जाता है। यहां भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष
नितिन गडकरी के बोल भी बदल गए थे और जहां उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव और
समन्वयवादी संस्कृति का संदेश दिया था। जिससे लोगों ने भाजपा को नई छवि में
देखा। रामदेव अपनी सभी मुहिमों में मुसलिम उलमा को साथ रखते हैं। देखना यह
है कि अबकी देवबंद में उनकी कैसी रणनीति और शैली सामने आएगी।