नई दिल्ली, 17 अक्तूबर। कांग्रेस के खिलाफ केजरीवाल के उठाए जा रहे मुद्दों
का समर्थन करती आई भाजपा को अब खुद उनका निशाना बनने का डर सता रहा है।
राजग में यह राय जोर पकड़ती जा रही है कि गुरिल्ला युद्ध कर रहे केजरीवाल
अंतत: उसके लिए भी घातक साबित होंगे।
भाजपा नेताओं को आशंका है कि केजरीवाल का अगला शिकार उसके अपने अध्यक्ष
नितिन गडकरी बन सकते हैं। इस आशय के संकेत पहले ही मिल चुके हैं। अभी तक
भाजपा कांग्रेस पर केजरीवाल के हमलों से बेहद खुश थी। उसके नेता इन खुलासों
को लेकर उनका समर्थन करते आ रहे थे। इनमें राबर्ट वडरा के जमीन मामले से
लेकर सलमान खुर्शीद के एनजीओ के मामले तक शामिल हैं। उन्हें लेकर पार्टी
इतनी ज्यादा उत्साहित थी कि उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश के
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने तो उन्हें पत्र लिख कर बधाई देते हुए कुछ
और सलाह भी दी।
अपने पत्र में शांता कुमार ने उनसे कहा हिमाचल प्रदेश
में प्रियंका गांधी ने भी जमीन खरीदी है। उन्हें इस बारे में जानकारी एकत्र
कर मामला उठाना चाहिए। हालांकि जब शांता कुमार का यह बयान सामने आया, तो
इसे उनकी ही पार्टी के कुछ नेताओं ने पसंद नहीं किया। उनका कहना था कि जब
राजग सत्ता में था, तब अटल बिहारी वाजपेयी के दत्तक दामाद रंजन भट्टाचार्य
का जमीन संबंधी मामला सामने आया था। कांग्रेस इसे उठाना चाहती थी। तब खुद
वाजपेयी ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को फोन कर कहा था कि हम सभी परिवार
वाले हैं। आज अगर मेरे दामाद का मामला उठाया जाएगा, तो कल को सत्ता में आने
पर आप लोगों के बेटों और दामादों का मामला भी उठ सकता है। हमें इस स्तर की
राजनीति करने से बचना चाहिए। उसके बाद कांग्रेस ने सदाशयता का परिचय देते हुए इस मामले को नहीं उठाया था।
भाजपा
नेताओं का मानना है कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि खुद अटल बिहारी
वाजपेयी ने घर बनाने के लिए मनाली के प्रीणी नामक गांव में जमीन खरीदी थी।
कल को अगर यह मामला किसी ने उठा दिया, तो क्या होगा। हालांकि इस मामले में
शांता कुमार को मुंह की खानी पड़ी, क्योंकि केजरीवाल ने उन्हें धन्यवाद देने
की जगह उल्टे यह पूछ लिया कि आप तो खुद मुख्यमंत्री रहे हैं। आपको इस बारे
में पता होना चाहिए।
भाजपा की समस्या यह है कि भले ही वह केजरीवाल का
समर्थन करती आई हो पर वह इस बात से आतंकित है कि आखिरकार वह उसके वोट बैंक
में ही सेंध लगाएंगे। केजरीवाल जो कुछ कर रहे हैं, उससे सबसे ज्यादा नुकसान
कांग्रेस को होगा पर उनके अपना दल बना लेने के एलान के बाद जो वोट भाजपा
को मिलता, वह उनकी झोली में जाने का खतरा पैदा हो गया है।इसका ज्वलंत
प्रमाण पिछले दिनों दिल्ली में देखने को मिला, जबबिजली के मुद्दे पर
केजरीवाल ने भाजपा के हाथ से आंदोलन लगभग छीन लिया। कटे हुए कनेक्शन जोड़ कर
उन्होंने जो प्रचार और समर्थन हासिल किया, उससे भाजपा के नेताओं का बौखला
उठना स्वाभाविक था।
केजरीवाल अगरभाजपा के किसी नेता को निशाना बनाते
हैं, तो पार्टी किस मुंह से यह कहेगी कि उनके आरोपों में दम नहीं है? शायद
यही कारण है कि राजग में हाल ही में आए सुब्रह्मण्यम स्वामी सरीखे नेताओं
ने यह कहना शुरू कर दिया है कि केजरीवाल जो मामले उठा रहे हैं उनको अदालत
में क्यों नहीं ले जाते? स्वामी का मानना है कि वे तो गुरिल्ला युद्ध लड़
रहे हैं। कभी यहां छापा मारते हैं तो कभी कहीं और। उन्हें यह पता ही नहीं
है कि उनका लक्ष्य क्या है।
का समर्थन करती आई भाजपा को अब खुद उनका निशाना बनने का डर सता रहा है।
राजग में यह राय जोर पकड़ती जा रही है कि गुरिल्ला युद्ध कर रहे केजरीवाल
अंतत: उसके लिए भी घातक साबित होंगे।
भाजपा नेताओं को आशंका है कि केजरीवाल का अगला शिकार उसके अपने अध्यक्ष
नितिन गडकरी बन सकते हैं। इस आशय के संकेत पहले ही मिल चुके हैं। अभी तक
भाजपा कांग्रेस पर केजरीवाल के हमलों से बेहद खुश थी। उसके नेता इन खुलासों
को लेकर उनका समर्थन करते आ रहे थे। इनमें राबर्ट वडरा के जमीन मामले से
लेकर सलमान खुर्शीद के एनजीओ के मामले तक शामिल हैं। उन्हें लेकर पार्टी
इतनी ज्यादा उत्साहित थी कि उसके राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और हिमाचल प्रदेश के
पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने तो उन्हें पत्र लिख कर बधाई देते हुए कुछ
और सलाह भी दी।
अपने पत्र में शांता कुमार ने उनसे कहा हिमाचल प्रदेश
में प्रियंका गांधी ने भी जमीन खरीदी है। उन्हें इस बारे में जानकारी एकत्र
कर मामला उठाना चाहिए। हालांकि जब शांता कुमार का यह बयान सामने आया, तो
इसे उनकी ही पार्टी के कुछ नेताओं ने पसंद नहीं किया। उनका कहना था कि जब
राजग सत्ता में था, तब अटल बिहारी वाजपेयी के दत्तक दामाद रंजन भट्टाचार्य
का जमीन संबंधी मामला सामने आया था। कांग्रेस इसे उठाना चाहती थी। तब खुद
वाजपेयी ने कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को फोन कर कहा था कि हम सभी परिवार
वाले हैं। आज अगर मेरे दामाद का मामला उठाया जाएगा, तो कल को सत्ता में आने
पर आप लोगों के बेटों और दामादों का मामला भी उठ सकता है। हमें इस स्तर की
राजनीति करने से बचना चाहिए। उसके बाद कांग्रेस ने सदाशयता का परिचय देते हुए इस मामले को नहीं उठाया था।
भाजपा
नेताओं का मानना है कि हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि खुद अटल बिहारी
वाजपेयी ने घर बनाने के लिए मनाली के प्रीणी नामक गांव में जमीन खरीदी थी।
कल को अगर यह मामला किसी ने उठा दिया, तो क्या होगा। हालांकि इस मामले में
शांता कुमार को मुंह की खानी पड़ी, क्योंकि केजरीवाल ने उन्हें धन्यवाद देने
की जगह उल्टे यह पूछ लिया कि आप तो खुद मुख्यमंत्री रहे हैं। आपको इस बारे
में पता होना चाहिए।
भाजपा की समस्या यह है कि भले ही वह केजरीवाल का
समर्थन करती आई हो पर वह इस बात से आतंकित है कि आखिरकार वह उसके वोट बैंक
में ही सेंध लगाएंगे। केजरीवाल जो कुछ कर रहे हैं, उससे सबसे ज्यादा नुकसान
कांग्रेस को होगा पर उनके अपना दल बना लेने के एलान के बाद जो वोट भाजपा
को मिलता, वह उनकी झोली में जाने का खतरा पैदा हो गया है।इसका ज्वलंत
प्रमाण पिछले दिनों दिल्ली में देखने को मिला, जबबिजली के मुद्दे पर
केजरीवाल ने भाजपा के हाथ से आंदोलन लगभग छीन लिया। कटे हुए कनेक्शन जोड़ कर
उन्होंने जो प्रचार और समर्थन हासिल किया, उससे भाजपा के नेताओं का बौखला
उठना स्वाभाविक था।
केजरीवाल अगरभाजपा के किसी नेता को निशाना बनाते
हैं, तो पार्टी किस मुंह से यह कहेगी कि उनके आरोपों में दम नहीं है? शायद
यही कारण है कि राजग में हाल ही में आए सुब्रह्मण्यम स्वामी सरीखे नेताओं
ने यह कहना शुरू कर दिया है कि केजरीवाल जो मामले उठा रहे हैं उनको अदालत
में क्यों नहीं ले जाते? स्वामी का मानना है कि वे तो गुरिल्ला युद्ध लड़
रहे हैं। कभी यहां छापा मारते हैं तो कभी कहीं और। उन्हें यह पता ही नहीं
है कि उनका लक्ष्य क्या है।