मेलबर्न, 16 अक्तूबर (भाषा)। महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण के लिहाज से
भारत की स्थिति अच्छी नहीं है। इस मामले में किए गए एक सर्वे में 128 देशों
की सूची में दक्षिण एशियाई देश 115वें स्थान पर हैं।
सूची में सबसे ऊपर आस्ट्रेलिया है। उसके बाद क्रमश: नार्वे, स्वीडन तथा
फिनलैंड का स्थान है। वहीं निचले पायदान पर यमन, पाकिस्तान, सूडान तथा चाड
हैं।
अंतरराष्ट्रीय परामर्श तथा प्रबंधन कंपनी बूज एंड कंपनी के इस शोध में भारत
115वें स्थान पर है। शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दुनिया की दूसरी
सबसे बड़ी आबादी वाला देश है। कुल वैश्विक प्रतिभा पूल में भारत की
हिस्सेदारी 14 प्रतिशत है, जिसमें 55 लाख महिलाएं हर साल भारत के कार्यबल
में शामिल होती हैं और ये उल्लेखनीय रूप से सफल हैं।
शोध रिपोर्ट के अनुसार भले ही भारतीय महिलाएं विभिन्न क्षेत्रों में सफल
हैं, लेकिन आर्थिक सशक्तिकरण तथा पेशेवर सफलता के मामले में उनके समक्ष
काफी चुनौतियां हैं। इसमें कहा गया है कि हालांकि ज्ञान आधारित
अर्थव्यवस्था ने भारत में अपार संभावनायें पैदा की हैं, लेकिन इसके बावजूद
कई महिलाएं सांस्कृतिक बाधाओं, लिंगभेद तथा संसाधनों के अभाव में अपनी
क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं कर पातीं।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘देश में महिलाओं के संरक्षण के लिए भेदभाव निरोधक
कानून है, लेकिन उसका क्रियान्वयन सही तरीके से नहीं हो पाया है। हर साल
महिलाओं से जुड़े लगभग1,000 झूठी शान के लिए हत्या के मामले प्रकाश में आते
हैं।
इसमें कहा गया है, ‘इसके अलावा बालिका भ्रूण हत्या, तेजाब से हमला,
बलात्कार तथा यौन उत्पीडऩ ऐसी चीजें हैं जो महिलाओं के सशक्तीकरण में बाधक
हैं।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत को आर्थिक वृद्धि की रफ्तार को
बनाए रखनी है तो उसे महिलाओं के रास्ते में आने वाली इन बाधाओं को दूर करना
होगा।
‘थर्ड बिलियन इंडेक्स’ नाम की रिपोर्ट में कहा 2ेगया है कि अगले एक दशक में दुनिया के कुल कार्यबल में एक अरब महिलायें शामिल होंगी।