10 साल बाद मुक्त हुआ बंधक बना लक्ष्मण

बेरमोः आर्थिक तंगी व बदहाली से विवश होकर 10 वर्ष पूर्व रोजगार की तलाश
में उत्तर प्रदेश व बिहार गये 20 वर्षीय लक्ष्मण सोरेन ने जब अपनों को
देखा तो उसकी आंखें छलक आयी. अपनों से बिछड़ने की पीड़ा व एक दशक बाद
परिजनों से मिलने की खुशी का भाव लक्ष्मण के चेहरे पर दिख रहा था. पांच
भाई-बहनों में सबसे बड़ा लक्ष्मण सोरेन नावाडीह के गोनियाटो पंचायत के
परसाबेड़ा निवासी शिकारी सोरेन का पुत्र है. 8 वर्ष की उम्र में वह घर में
आर्थिक तंगी के कारण वर्ष 2002 में मजदूरी करने यूपी चला गया था. यूपी में
एक माह मजदूरी करने के बाद वह एक व्यक्ति की सहायता से बिहार के छपरा पहुंच
गया.

छपरा स्थित भगवानगंज में ब्रह्रपुर पुल के पास दशरथ प्रसाद की मिठाई
दुकान भूख से बेहाल लक्ष्मण पहुंचा तो दशरथ ने उसे खाना खिलाया और काम पर
रख लिया. दशरथ ने उसे खाना के अलावा कपड़ा व रहने का जगह भी दिया. लेकिन
किसी से बात करने व आने जाने पर रोक लगा दी.

लक्ष्मण कहता है कि एक सप्ताह पूर्व जारंगडीह का एक व्यक्ति दशरथ के
होटल में आया. लक्ष्मण ने उसे अपनी व्यथा सुनायी. उस व्यक्ति ने इसकी
जानकारी नावाडीह ऊपरघाट के विधायक प्रतिनिधि टेकलाल को दी. सूचना पाकर
टेकलाल, लक्ष्मण के पिता शिकारी सोरेन, चाचा विनोद सोरेन, बिरसा सोरेन व
पृथ्वी कुमार को लेकर छपरा स्थित होटल पहुंचे. पहले तो दशरथ ने लक्ष्मण को
छोड़ने से इनकार किया. लेकिन कानूनी पचड़े के भय से उसे परिजनों को सौंप
दिया. 10 साल में लक्ष्मण अपनी मातृभाषा संताली को भूल गया. अब वह फराटेदार
भोजपुरी बोल रहा है. लक्ष्मण की घर वापसी से उसके घरवाले काफी खुश हैं.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *