सरकार की खनन नीति से भारत की समृद्ध जैवविविधता खतरे में: ग्रीनपीस

नयी दिल्ली…हैदराबाद, सात अक्तूबर (एजेंसी) सरकार की खनन नीति से देश की
जैवविविधता और बाघों के पर्यावासों को नुकसान पहुंचने का आरोप लगाते हुए एक
गैर सरकारी संगठन ने आज वन्य क्षेत्रों में कोयला खदानों की विस्तार योजना
पर फिर से विचार करने की मांग सरकार से की।
हैदराबाद में संयुक्त राष्ट्र के जैवविविधता सम्मेलन शुरू होने से कुछ घंटे
पहले एनजीओ ग्रीनपीस ने सरकार से कहा है कि देश की सीमाओं के अंदर मौजूद
समृद्ध जैवविविधता को बचाने के लिए नेतृत्व दर्शाने की जरूरत है।
ग्रीनपीस
ने एक बयान में कहा, ‘‘कोयला खनन बढ़ाने की सरकार की मौजूदा नीति पर्यावरण
को नुकसान पहुंचा रही है और संकटग्रस्त भारतीय बाघों के पर्यावासों पर भी
असर डाल रही है। इससे हजारों नागरिकों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।’’
जैवविविधता पर समझौते में शामिल पक्षों
के कल से शुरू होने वाले संयुक्त राष्ट्र के 11वें अधिवेशन से पहले संगठन
ने अपने बयान में कहा है, ‘‘भारत सरकार को महत्वपूर्ण जैवविविधता के विनाश
को रोकना चाहिए।’’
सम्मेलन का उद्घाटन कल पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन करेंगी।
धरती पर घट रही जैवविविधता को रोकने के मकसद से दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण अधिवेशन में कुल 193 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
ग्रीनपीस
के एक प्रवक्ता ने पीटीआई से कहा कि वे पर्यावरण को नुकसार पहुंचा रहीं
सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ हैदराबाद में प्रदर्शन करेंगे।
संगठन ने
कहा कि उसके अध्ययन के अनुसार अकेले मध्य भारत में 13 कोयला क्षेत्रों से
11 लाख हेक्टेयर से अधिक प्राचीन वन्यभूमि को नुकसान पहुंचेगा।

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