बिलासपुर.
स्वास्थ्य विभाग में वाहनों के रखरखाव और पेट्रोल-डीजल के नाम पर 87 लाख
रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। सीएमओ दफ्तर के प्रशासकीय अधिकारी ने बिना
वित्तीय अधिकार के न सिर्फ यह रकम निकाली, बल्कि उसकी बंदरबांट भी कर ली।
इसके बाद उसके फर्जी बिल भी जमा कर दिए गए। सूचना का अधिकार में मिले
दस्तावेज से इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।
कुछ माह पहले स्वास्थ्य विभाग में लोडिंग-अनलोडिंग के नाम पर करीब 12 लाख
रुपए का घोटाला सामने आया था। इसकी जांच अभी चल ही रही है कि उससे भी बड़ा
कारनामा सामने आ गया। वर्ष 2009 से 2012 के बीच सीएमओ दफ्तर के प्रशासकीय
अधिकारी बीएस राही के दस्तखत से किस्तों में 87 लाख रुपए से ज्यादा की राशि
निकाली गई।
फर्जी बिलों में बीएमओ महेश कुमार राय के भी हस्ताक्षर हैं। वाहनों की
डेंटिंग-पेंटिंग और रिपेयरिंग पर इतनी राशि खर्च की गई, जो विभाग प्रमुख भी
जारी नहीं कर सकते। इसके लिए कलेक्टर की अनुमति जरूरी है।
9.45 लाख के पेड वाउचर ब्लॉक कार्यालयों के लिए जहां नियम से हटकर
और क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर 14.75 लाख रुपए एडवांस स्वीकृत किए गए, वहीं
ब्लाकों से एडवांस राशि के अलावा 9.45 लाख रुपए के पेड वाउचर भी आए, जिनका
अलग भुगतान किया गया है। इनमें सबसे अधिक के पेड वाउचर (1,99,723 रुपए)
पेंड्रा ब्लाक के हैं। इसके बाद मरवाही, कोटा, गौरेला और मुंगेली का नंबर
है।
हैरत की बात है कि इसमें से भी 7.44 लाख रुपए सीएमओ दफ्तर के प्रशासकीय
अधिकारी ने ही स्वीकृत किए हैं, जबकि सीएमओ ने मात्र 2 लाख रुपए स्वीकृत
किए हैं। पेड वाउचर तब दिए जाते हैं, जब भुगतान के बाद उसकी मंजूरी ली जाए।
सीएमओ ने भी नहीं जताई कभी आपत्ति अप्रैल 2009 से मार्च 2012 तक
पीओएल अग्रिम एवं वाहनों के रख-रखाव के नाम पर सीएमओ दफ्तर में 2.35 लाख
रुपए वाहन शाखा के लिपिक को बतौर एडवांस दिए गए। स्थानीय कार्यालय के लिए
40.88 लाख रुपए एडवांस मंजूर किया गया, जबकि बीएमओ को 14.75 लाख रुपए
एडवांस स्वीकृत कर भुगतान किया गया है।
बीएमओ दफ्तरों से इस एडवांस राशि के अलावा लगभग 12 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च
के पेड वाउचरभी भेजे गए हैं, जिन्हें अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर
प्रशासकीय अधिकारी ने स्वीकृत किया। वाहनों की मरम्मत और पार्ट्स खरीदी के
नाम पर भी 21.31 लाख रुपए निकाले गए। इसके लिए न तो क्रय समिति बनी, न ही
टेंडर या अन्य नियमों का पालन किया गया।
सीएमओ दफ्तर में लंबे समय से चल रहे इस फर्जीवाड़े को लेकर सीएमओ ने भी कभी
आपत्ति नहीं की। इन गड़बड़ियों के दौरान वर्ष 2009 में डॉ. सुरेंद्र
पामभोई सीएमओ थे। वर्तमान में डॉ. अमर सिंह ठाकुर इस पद पर कार्यरत हैं।
स्वास्थ्य विभाग में वाहनों के रखरखाव और पेट्रोल-डीजल के नाम पर 87 लाख
रुपए का घोटाला उजागर हुआ है। सीएमओ दफ्तर के प्रशासकीय अधिकारी ने बिना
वित्तीय अधिकार के न सिर्फ यह रकम निकाली, बल्कि उसकी बंदरबांट भी कर ली।
इसके बाद उसके फर्जी बिल भी जमा कर दिए गए। सूचना का अधिकार में मिले
दस्तावेज से इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ है।
कुछ माह पहले स्वास्थ्य विभाग में लोडिंग-अनलोडिंग के नाम पर करीब 12 लाख
रुपए का घोटाला सामने आया था। इसकी जांच अभी चल ही रही है कि उससे भी बड़ा
कारनामा सामने आ गया। वर्ष 2009 से 2012 के बीच सीएमओ दफ्तर के प्रशासकीय
अधिकारी बीएस राही के दस्तखत से किस्तों में 87 लाख रुपए से ज्यादा की राशि
निकाली गई।
फर्जी बिलों में बीएमओ महेश कुमार राय के भी हस्ताक्षर हैं। वाहनों की
डेंटिंग-पेंटिंग और रिपेयरिंग पर इतनी राशि खर्च की गई, जो विभाग प्रमुख भी
जारी नहीं कर सकते। इसके लिए कलेक्टर की अनुमति जरूरी है।
9.45 लाख के पेड वाउचर ब्लॉक कार्यालयों के लिए जहां नियम से हटकर
और क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर 14.75 लाख रुपए एडवांस स्वीकृत किए गए, वहीं
ब्लाकों से एडवांस राशि के अलावा 9.45 लाख रुपए के पेड वाउचर भी आए, जिनका
अलग भुगतान किया गया है। इनमें सबसे अधिक के पेड वाउचर (1,99,723 रुपए)
पेंड्रा ब्लाक के हैं। इसके बाद मरवाही, कोटा, गौरेला और मुंगेली का नंबर
है।
हैरत की बात है कि इसमें से भी 7.44 लाख रुपए सीएमओ दफ्तर के प्रशासकीय
अधिकारी ने ही स्वीकृत किए हैं, जबकि सीएमओ ने मात्र 2 लाख रुपए स्वीकृत
किए हैं। पेड वाउचर तब दिए जाते हैं, जब भुगतान के बाद उसकी मंजूरी ली जाए।
सीएमओ ने भी नहीं जताई कभी आपत्ति अप्रैल 2009 से मार्च 2012 तक
पीओएल अग्रिम एवं वाहनों के रख-रखाव के नाम पर सीएमओ दफ्तर में 2.35 लाख
रुपए वाहन शाखा के लिपिक को बतौर एडवांस दिए गए। स्थानीय कार्यालय के लिए
40.88 लाख रुपए एडवांस मंजूर किया गया, जबकि बीएमओ को 14.75 लाख रुपए
एडवांस स्वीकृत कर भुगतान किया गया है।
बीएमओ दफ्तरों से इस एडवांस राशि के अलावा लगभग 12 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च
के पेड वाउचरभी भेजे गए हैं, जिन्हें अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर
प्रशासकीय अधिकारी ने स्वीकृत किया। वाहनों की मरम्मत और पार्ट्स खरीदी के
नाम पर भी 21.31 लाख रुपए निकाले गए। इसके लिए न तो क्रय समिति बनी, न ही
टेंडर या अन्य नियमों का पालन किया गया।
सीएमओ दफ्तर में लंबे समय से चल रहे इस फर्जीवाड़े को लेकर सीएमओ ने भी कभी
आपत्ति नहीं की। इन गड़बड़ियों के दौरान वर्ष 2009 में डॉ. सुरेंद्र
पामभोई सीएमओ थे। वर्तमान में डॉ. अमर सिंह ठाकुर इस पद पर कार्यरत हैं।