कभी स्कूल में बच्चों से मिड-डे-मील बनवाया जाता है तो कभी उन्हें पीने का पानी ढोने के कार्य में लगा दिया जाता है। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों पर होने वाले अत्याचार के बारे में आए दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित भी होता रहता है। लेकिन शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारी लापरवाह अध्यापकों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाए हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
अगर बात ऊधमपुर शहर के साथ ही मजालता, रामनगर, चनैनी व पंचैरी के सरकारी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की कि जाए तो यहां पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को अक्सर पीने का पानी स्कूल की ओर ढोते देखा जा सकता है। वहीं स्कूल में मिड-डे-मील का खाना बनाने भी विद्यार्थियों को देखा जा सकता है।
यह सब कुछ विद्यार्थी अपनी मर्जी से नहीं बल्कि कुछ लापरवाह अध्यापक उन्हें ऐसे करने को मजबूर करते हैं। दैनिक भास्कर के कैमरे में भी एक ऐसी ही तस्वीर कैद की गई जिसमें सरकारी प्राइमरी स्कूल डूंगा (रामनगर जोन) के दो विद्यार्थियों को पीने का पानी ढोने के कार्य में लगा दिया गया था। विद्यार्थियों को कहना था कि वह यह सब अपनी मर्जी से नहीं करते बल्कि अध्यापक उन्हें भेजते हैं।