शिमला. सरकार
की बागवानी और कृषि विकास योजनाओं में हेराफेरी और जालसाजी करने के मामले
में विजिलेंस ने विभाग के पूर्व उप निदेशक पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया
है।
आरोप है कि पूर्व उप निदेशक रामलोक शर्मा ने कोटखाई में न सिर्फ अपने
चहेतों को योजनाओं का फायदा पहुंचाया बल्कि इसके बदले लाखों रुपए की रिश्वत
भी ली। रामलोक शर्मा पिछले साल 31 अगस्त को बिलासपुर में डिप्टी
डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
फर्जी केस बनाकर लगाई विभाग को चपत
विजिलेंस के अनुसार आरोपी डिप्टी डायरेक्टर वर्ष 2003 से लेकर 2007 तक
कोटखाई तहसील में पौध सरंक्षण अधिकारी के तौर पर तैनात रहे। इसी दौरान
उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर बागवानी और तकनीकी मिशन और राष्ट्रीय कृषि
विकास योजना के तहत मिलने वाले एंटीहेल नेट में लाखों का घपला कर दिया।
आरोप है कि वर्ष 2005 में करीब 50 लोगों के सब्सिडी के तहत ओला अवरोधक
जालियों के लिए झूठे केस बनवाए गए। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए सरकार को
भेज दिया। दिसंबर 2006 में इन लोगों को सरकार की ओर से 50-50 जालियां
खरीदने के लिए पैसा भी जारी हो गया।
ग्रेडिंग पैकिंग शेड में भी धांधली का आरोप
पूर्व उप निदेशक पर ग्रेडिंग पैकिंग शेड के लिए मिलने वाले पैसों में भी
गोलमाल का आरोप लगा है। विजिलेंस के अनुसार करीब आठ बागवानों को इस योजना
के तहत 50-50 हजार रुपए की सब्सिडी जारी की गई। इससे विभाग को करीब चार लाख
रुपए का नुकसान हो गया। वहीं, रामलोक शर्मा ने कहा कि मुझे इस मामले की
कोई जानकारी नहीं है। आरोप पूरी तरह गलत हैं।
गड़बड़ी की जांच जारी
गड़बड़ी की जांच की जा रही है। विभाग के पूर्व उप निदेशक रामलोक शर्मा ने
कोटखाई में पौध संरक्षण अधिकारी रहते हुए हेल नेट में लाखों रुपए की
हेराफेरी की थी।
हिमांशु मिश्रा, डीआईजी, स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो
की बागवानी और कृषि विकास योजनाओं में हेराफेरी और जालसाजी करने के मामले
में विजिलेंस ने विभाग के पूर्व उप निदेशक पर धोखाधड़ी का केस दर्ज किया
है।
आरोप है कि पूर्व उप निदेशक रामलोक शर्मा ने कोटखाई में न सिर्फ अपने
चहेतों को योजनाओं का फायदा पहुंचाया बल्कि इसके बदले लाखों रुपए की रिश्वत
भी ली। रामलोक शर्मा पिछले साल 31 अगस्त को बिलासपुर में डिप्टी
डायरेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
फर्जी केस बनाकर लगाई विभाग को चपत
विजिलेंस के अनुसार आरोपी डिप्टी डायरेक्टर वर्ष 2003 से लेकर 2007 तक
कोटखाई तहसील में पौध सरंक्षण अधिकारी के तौर पर तैनात रहे। इसी दौरान
उन्होंने कुछ लोगों के साथ मिलकर बागवानी और तकनीकी मिशन और राष्ट्रीय कृषि
विकास योजना के तहत मिलने वाले एंटीहेल नेट में लाखों का घपला कर दिया।
आरोप है कि वर्ष 2005 में करीब 50 लोगों के सब्सिडी के तहत ओला अवरोधक
जालियों के लिए झूठे केस बनवाए गए। इसके बाद इसे मंजूरी के लिए सरकार को
भेज दिया। दिसंबर 2006 में इन लोगों को सरकार की ओर से 50-50 जालियां
खरीदने के लिए पैसा भी जारी हो गया।
ग्रेडिंग पैकिंग शेड में भी धांधली का आरोप
पूर्व उप निदेशक पर ग्रेडिंग पैकिंग शेड के लिए मिलने वाले पैसों में भी
गोलमाल का आरोप लगा है। विजिलेंस के अनुसार करीब आठ बागवानों को इस योजना
के तहत 50-50 हजार रुपए की सब्सिडी जारी की गई। इससे विभाग को करीब चार लाख
रुपए का नुकसान हो गया। वहीं, रामलोक शर्मा ने कहा कि मुझे इस मामले की
कोई जानकारी नहीं है। आरोप पूरी तरह गलत हैं।
गड़बड़ी की जांच जारी
गड़बड़ी की जांच की जा रही है। विभाग के पूर्व उप निदेशक रामलोक शर्मा ने
कोटखाई में पौध संरक्षण अधिकारी रहते हुए हेल नेट में लाखों रुपए की
हेराफेरी की थी।
हिमांशु मिश्रा, डीआईजी, स्टेट विजिलेंस एंड एंटी करप्शन ब्यूरो