नई दिल्लीः वर्तमान राजनीतिक हालात पर चर्चा करने के लिए प्रधानमंत्री
आवास पर चल रही कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक खत्म हो गई है. ममता को मनाने
के लिए सरकार अब डीजल के दाम कुछ कम कर सकती है. साथ ही, सस्ते एलपीजी
सिलेंडर की संख्या भी साल में बढ़ाने पर सरकार तैयार हो गई है. हालांकि,
मल्टी-ब्रांड रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर सरकार टस से मस होने को तैयार
नहीं है.
तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के संप्रग से समर्थन वापसी के ऐलान के बाद
केंद्र सरकार दबाव में आ गई थी. ममता को मनाने के लिए केंद्र ने कदम पीछे
खींचने के भी संकेत दिए हैं. इस बीच, केंद्र ने समाजवादी पार्टी से भी
संपर्क साधा है. सपा ने साफ कहा है कि वह जल्दबाजी में न तो कोई निर्णय
करेगी न ही वह सरकार को कोई अल्टीमेटम देगी. सूत्रों के मुताबिक, ममता को
मनाने के लिए कांग्रेस ने साल में एलपीजी सिलेंडर की सीमा छह से बढ़ाकर
10-12 तक लाने का प्रस्ताव रखा था. साथ ही, डीजल के बढ़े दामों पर भी वह
समझौते को तैयार है.
डीजल मूल्य में वृद्धि, सस्ते गैस सिलेंडर के कोटे में कमी और एफडीआई के
मुद्दे पर ममता के साथ-साथ द्रमुक और संप्रग सहयोगी समाजवादी पार्टी भी
शामिल है. हालांकि बाहर से समर्थन दे रही सपा और बसपा ने अभी अपने पत्ते
नहीं खोले हैं सरकार को अपने फैसलों पर पुनर्विचार के लिए मजबूर कर दिया
है.
माना जा रहा है कि अपने सबसे पुराने और बड़े सहयोगी तृणमूल को संप्रग में
कायम रखने के लिए सरकार कदम वापस खींच सकती है और पश्चिम बंगाल को भी कुछ
आर्थिक सौगात दी जा सकती हैं. ममता को रोकने के लिए बुधवार को कांग्रेस
अध्यक्ष सोनिया गांधी दखल देकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस विषय में
बात करेंगी.
दरअसल, कांग्रेस मान रही है कि शुक्रवार तक इस्तीफे का समय देकर ममता
बनर्जी ने अभी सरकार के सामने विकल्प छोड़े हैं और वह बीच का कोई रास्ता
निकालने के लिए मध्यस्थों के जरिये संपर्क में भी है. ममता के जाने के एलान
के साथ ही द्रमुक द्वारा भारत बंद को समर्थन दिए जाने को भी कांग्रेस
समस्या के रूप में देख रही है. वहीं, ममता के बाहर जाने से सपा और बसपा पर
भी कांग्रेस की निर्भरता बढे़गी. इसके बावजूद कांग्रेस मान रही है कि संकट
में सरकार को घिरा देखकर उसकी परेशानियां बढ़ाने से कोई भी बाज नहीं आएगा.
इसीलिए, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा के रोल बैक
न करने के दो टूक एलान के बावजूद अब सरकार कुछ पीछे हटने के संकेत दे रही
है. कांग्रेस महासचिव और मीडिया विभाग के चेयरमैन जनार्दन द्विवेदी ने भी
इसके संकेत दिए. उन्होंने कहा कि ‘लोकतंत्र में यही खूबी है कि सभी को हर
मुद्दे पर राय रखने का अधिकार है. इसी राय की वजह से संप्रग बना था और
तृणमूल शुरू से हमारी बहुमूल्य सहयोगी रही है. जब तक अंतिम परिणाम नहीं आ
जाता, तब तक हम उसे सहयोगी मानते रहेंगे. जो मुद्दे ममता बनर्जी ने उठाए
हैं, निश्चयही उन पर सरकार चर्चा करेगी. इसके बाद जो नतीजा निकलेगा उसकी
जानकारी दी जाएगी.’
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कैबिनेट बैठक से काफी
पहले ही रिटेल में एफडीआइ पर सरकार की मंशा से ममता बनर्जी को अवगत करा
दिया था. यहां तक कि उन्होंने बैठक के एक दिन पहले भी ममता को फोन किया था,
लेकिन उन्होंने इसका जवाब नहीं दिया.
संप्रग सरकार की प्रमुख सहयोगी तृणमूल कांग्रेस की सशर्त समर्थन वापसी के
बाद सबकी निगाहें समाजवादी पार्टी पर टिक गई हैं. ममता के इस एलान के बाद
ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने मुलायम से संपर्क साधना शुरू कर दिया है.
फिर भी राजनीतिक नजाकत को भांपते हुए सपा जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं
लेगी. बदले राजनीतिक हालात के बीच सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव दिल्ली
पहुंच गए हैं.
सपा महासचिव व राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा, ‘हमने शुरू
से सरकार को गुण-दोष के आधार पर समर्थन दिया है. कोई कदम जनविरोधी होगा तो
उसका विरोध करेंगे. सरकार को यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि सपा उसका हर
मामले में समर्थन करेगी’. सरकार ऐसे काम कर रही है जैसे उसके पास दो तिहाई
बहुमत हो.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सरकार की विश्वसनीयता खत्म हो गई है.
उसे डीजल की बढ़ी हुई कीमतों, खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश
(एफडीआइ) और सब्सिडी वाले रसोई गैस मामले में लिए फैसले को तुरंत वापस लेना
चाहिए. हालांकि उन्होंने दो टूक कहा, कि ऐसा न होने के बाद भी हम कोई
अल्टीमेटम नहीं देंगे. समझदार को इशारा काफी होता है’.
उन्होंने स्पष्ट किया कि सपा किसी कीमत पर सरकार में शामिल नहीं होगी.
कांग्रेस और उसकी सरकार की विश्वनीयता खत्म हो गई है. जो भी उसकी सरकार में
शामिल होगा, अगले लोकसभा चुनाव में वह भी खत्म हो जाएगा. हालांकि, सपा का
सारा जोर फिलहाल 20 सितंबर के बंद पर है. उसे सफल बनाने के लिए वामदलों से
उसकी बातचीत भी जारी है. प्रो. रामगोपाल यादव ने कहा भी, ‘समर्थन वापसी के
बाद सरकार पर संकट तो जरूर आ गया है, लेकिन पार्टी फिलहाल 20 सितंबर के बंद
पर फोकस करेगी. जबकि, उसके बाद समान विचारधारा वाले दलों से मिल-बैठ कर ही
आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
सरकार का गणित
कांग्रेस + माया+मुलायम = 307
कांग्रेस + माया = 285
कांग्रेस + मुलायम = 286
कांग्रेस – मुलायम-माया = 264