फतेहाबाद।
गोरखपुर परमाणु संयंत्र के खिलाफ आंदोलन चला रही किसान संघर्ष समिति के
प्रधान हंसराज सिवाच को अंतत: प्रशासन ने मनाकर धरना खत्म करने का दावा कर
डाला। सोमवार सुबह डीसी एमएल कौशिक व डीएसपी शमशेर दहिया सिवाच को फूलों का
हार पहनाकर अपने दफ्तर ले गए। वहां दोनों पक्षों में खूब हंसी मजाक हुआ।
हंसराज गदगद थे और प्रशासन की आंखों में चमक थी।
उधर इस घटनाक्रम से धरने पर बैठे शेष किसान भड़क उठे और घोषणा कर दी कि अब
उनके अध्यक्ष बलबीर नैन होंगे। रामफल को संघर्ष समिति का उपाध्यक्ष चुना
गया। धरने पर सत्यनारायण शर्मा, पालीराम, रामकुमार नैन, रामस्वरूप नैन,
सोनू, ओमप्रकाश, जोगीराम, मंगल, जोधाराम, कश्मीर, ईश्वर सिंह, राजेश व
बलवान भी थे। उन्होंने कहा है कि हंसराज के पलटने से आंदोलन खत्म होने वाला
नहीं है। ये धरना भी यहीं रहेगा और आंदोलन भी जारी रहेगा।
बलबीर नैन का कहना है कि उसके परिवार की करीब 72 एकड़ जमीन परमाणु संयंत्र
के दायरे में आती है। वहीं उपप्रधान रामफल की सवा चार एकड़ जमीन आती है।
बताया कि उन सभी किसानों की करीब 102 एकड़ जमीन परमाणु संयंत्र के लिए
अधिग्रहित की जाने वाली जमीन में आती है। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया है
कि हंसराज सिवाच के दोनों बेटे अपनी जमीन के चेक ले जा चुके हैं। हंसराज
सिवाच का कोई स्टैंड नहीं है। इसलिए समिति उन्हें कई दिन पहले ही प्रधान पद
से हटा चुकी है। यह आंदोलन हंसराज सिवाच का नहीं, बल्कि समस्त किसानों का
है।
सिवाच का मोबाइल बंद : दो साल से संयंत्र के खिलाफ अभियान का
नेतृत्व कर रहे सिवाच का कभी मोबाइल बंद नहीं हुआ लेकिन सोमवार को हुए
घटनाक्रम के बाद उनका मोबाइल बंद है। वैसे रविवार को उन्होंने भास्कर से
बातचीत में कहा था कि वह किसानों के लिए लड़ते रहेंगे। साथ ही बीमारी की
वजह से धरने पर नहीं आने की बात कही थी। सोमवार को जैसे ही वह धरने पर
पहुंचे, डीसी उन्हें लेने आ गए।
सीपीएस व सांसद ने किया धन्यवाद : किसानों ने चेतावनी है कि वे मरते
दम तक धरना जारी रखेंगे। वहीं मुख्य संसदीय सचिव प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा
व सांसद अशोक तंवर ने किसानों का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा है किसान
संघर्ष समिति द्वारा धरना समाप्त करने पर उन्हें बधाई देते हैं। बधाइयों का
ये दौर हंसराज सिवाच की ओर से हरी झंडी मिलने पर शुरू हुआ है। जाहिर है कि
इस आंदोलन को महज हंसराज सिवाच के रूप में देखा जा रहा है।
गोरखपुर परमाणु संयंत्र के खिलाफ आंदोलन चला रही किसान संघर्ष समिति के
प्रधान हंसराज सिवाच को अंतत: प्रशासन ने मनाकर धरना खत्म करने का दावा कर
डाला। सोमवार सुबह डीसी एमएल कौशिक व डीएसपी शमशेर दहिया सिवाच को फूलों का
हार पहनाकर अपने दफ्तर ले गए। वहां दोनों पक्षों में खूब हंसी मजाक हुआ।
हंसराज गदगद थे और प्रशासन की आंखों में चमक थी।
उधर इस घटनाक्रम से धरने पर बैठे शेष किसान भड़क उठे और घोषणा कर दी कि अब
उनके अध्यक्ष बलबीर नैन होंगे। रामफल को संघर्ष समिति का उपाध्यक्ष चुना
गया। धरने पर सत्यनारायण शर्मा, पालीराम, रामकुमार नैन, रामस्वरूप नैन,
सोनू, ओमप्रकाश, जोगीराम, मंगल, जोधाराम, कश्मीर, ईश्वर सिंह, राजेश व
बलवान भी थे। उन्होंने कहा है कि हंसराज के पलटने से आंदोलन खत्म होने वाला
नहीं है। ये धरना भी यहीं रहेगा और आंदोलन भी जारी रहेगा।
बलबीर नैन का कहना है कि उसके परिवार की करीब 72 एकड़ जमीन परमाणु संयंत्र
के दायरे में आती है। वहीं उपप्रधान रामफल की सवा चार एकड़ जमीन आती है।
बताया कि उन सभी किसानों की करीब 102 एकड़ जमीन परमाणु संयंत्र के लिए
अधिग्रहित की जाने वाली जमीन में आती है। उन्होंने यहां तक आरोप लगाया है
कि हंसराज सिवाच के दोनों बेटे अपनी जमीन के चेक ले जा चुके हैं। हंसराज
सिवाच का कोई स्टैंड नहीं है। इसलिए समिति उन्हें कई दिन पहले ही प्रधान पद
से हटा चुकी है। यह आंदोलन हंसराज सिवाच का नहीं, बल्कि समस्त किसानों का
है।
सिवाच का मोबाइल बंद : दो साल से संयंत्र के खिलाफ अभियान का
नेतृत्व कर रहे सिवाच का कभी मोबाइल बंद नहीं हुआ लेकिन सोमवार को हुए
घटनाक्रम के बाद उनका मोबाइल बंद है। वैसे रविवार को उन्होंने भास्कर से
बातचीत में कहा था कि वह किसानों के लिए लड़ते रहेंगे। साथ ही बीमारी की
वजह से धरने पर नहीं आने की बात कही थी। सोमवार को जैसे ही वह धरने पर
पहुंचे, डीसी उन्हें लेने आ गए।
सीपीएस व सांसद ने किया धन्यवाद : किसानों ने चेतावनी है कि वे मरते
दम तक धरना जारी रखेंगे। वहीं मुख्य संसदीय सचिव प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा
व सांसद अशोक तंवर ने किसानों का धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा है किसान
संघर्ष समिति द्वारा धरना समाप्त करने पर उन्हें बधाई देते हैं। बधाइयों का
ये दौर हंसराज सिवाच की ओर से हरी झंडी मिलने पर शुरू हुआ है। जाहिर है कि
इस आंदोलन को महज हंसराज सिवाच के रूप में देखा जा रहा है।