भोपाल.
एक साल में पहले छह सिलेंडर 451 में और इसके बाद हर सिलेंडर के लिए करीब
800 रुपए। इस नए निर्णय से घरेलू उपभोक्ता को जरूर झटका लगा है, लेकिन
व्यावसायिक सिलेंडर का उपयोग करने वाले दुकानदारों को राहत मिलती दिख रही
है।
ऐसा इसीलिए क्योंकि दुकानदार अभी 1469 रुपए में 19 किलो का
व्यावसायिक सिलेंडर ले रहे हैं। नए नियम के बाद 1600 रुपए में बिना सब्सिडी
वाले दो सिलेंडर ले सकेंगे और गैस मिलेगी 28.4 किलो। इसे ऐसे भी समझ सकते
हैं कि पहले दुकानदार 77 रुपए प्रति किलो गैस खरीदते थे, लेकिन सब्सिडी के
बिना मिलने वाले सिलेंडर से उन्हें 56 रुपए किलो में गैस मिल सकेगी।
नए
नियमों के बाद होटलों, ढाबों व अन्य दुकानों में बिना सब्सिडी वाली घरेलू
गैस के उपयोग के संबंध में स्थिति स्पष्ट ही नहीं है। अब तक खाद्य विभाग
सब्सिडी वाले सिलेंडरों के व्यावसायिक उपयोग के आधार पर कार्रवाई करता रहा
है। अब ये असमंजस है कि बिना सब्सिडी वाले सिलेंडरों के इस्तेमाल पर खाद्य
विभाग कार्रवाई करेगा या नहीं।
उधर, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अफसर
का जवाब है कि वे तब तक कुछ नहीं कह सकते, जब तक इस बारे में स्पष्ट
दिशानिर्देश न मिल जाएं। आईओसी के मैनेजर (एलपीजी, सेल्स) एसआर कुजूर कहते
हैं कि नई प्राइजिंग में बिना सब्सिडी के सिलेंडरों और कमर्शियल सिलेंडरों
के बीच का अंतर कम किया जा सकता है। इससे ये दुविधा खत्म हो जाएगी।
यह है सिलेंडर का गणित
अब
तक: सब्सिडी वाले घरेलू सिलेंडर की कीमत 451 रुपए है। इसमें 14.2 किलो गैस
होती है। यानी गैस की कीमत 31 रुपए 76 पैसे प्रति किलो हुई। यह होगा: साल
में ६ सिलेंडर के बाद सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा। यानी छठे सिलेंडर के बाद
हर सिलेंडर लेने के लिए आपको करीब 800 रुपए देने होंगे। यानी एक किलो गैस
हुई 56 रुपए 33 पैसे की। कमर्शियल सिंलेंडर की कीमत 1469 रुपए है। इसमें 19
किलो गैस होती है। यानी एक किलो गैस हुई 77 रुपए 34 पैसे की।
ऐसे महंगा होता है सिलेंडर
451
रुपए कीमत के घरेलू सिलेंडर पर 5 फीसदी वैट (21 रु 48 पैसे) व 6.5 फीसदी
बेसिक डेस्टिनेशन प्राइज (एंट्री टैक्स सहित अन्य टैक्स 26 रु 21 पैसे)
लगता है। यानी बतौर टैक्स एक सिलेंडर पर 48 रु राज्य सरकार के खाते में
जाते हैं। इससे पहले केंद्र सरकार सिलेंडर के बेस प्राइज पर 8 से 10 फीसदी
एक्साइज टैक्स अपने खाते में लेती है। ऐसे ही कमर्शियल यानी नीले सिलेंडर
पर वैट 13 फीसदी (169 रु) व एक प्रतिशत एंट्री टैक्स (करीब 15 रुपए) लगते
हैं। इस तरह 1469 रुपए के नीले सिलेंडर पर भी राज्य सरकार को प्रति सिलेंडर
184 रुपए टैक्स मिलता है।
नहीं आए नियम
भारत सरकार के अभी तक
नए नियम नहीं आए हैं, अभी कंट्रोल आर्डर 2001 के तहत होटल, ढाबा, वाहन में
जोभी घरेलू गैस का उपयोग करता है, उसे राजसात करने के हमें अधिकार हैं,
साथ जुर्माना भी लगाते हैं। आगे जैसे प्रावधान होंगे, उसी के मुताबिक
कार्रवाई होगी।
उमाकांत उमराव, आयुक्त, खाद्य नागरिक एवं आपूर्ति।
एक साल में पहले छह सिलेंडर 451 में और इसके बाद हर सिलेंडर के लिए करीब
800 रुपए। इस नए निर्णय से घरेलू उपभोक्ता को जरूर झटका लगा है, लेकिन
व्यावसायिक सिलेंडर का उपयोग करने वाले दुकानदारों को राहत मिलती दिख रही
है।
ऐसा इसीलिए क्योंकि दुकानदार अभी 1469 रुपए में 19 किलो का
व्यावसायिक सिलेंडर ले रहे हैं। नए नियम के बाद 1600 रुपए में बिना सब्सिडी
वाले दो सिलेंडर ले सकेंगे और गैस मिलेगी 28.4 किलो। इसे ऐसे भी समझ सकते
हैं कि पहले दुकानदार 77 रुपए प्रति किलो गैस खरीदते थे, लेकिन सब्सिडी के
बिना मिलने वाले सिलेंडर से उन्हें 56 रुपए किलो में गैस मिल सकेगी।
नए
नियमों के बाद होटलों, ढाबों व अन्य दुकानों में बिना सब्सिडी वाली घरेलू
गैस के उपयोग के संबंध में स्थिति स्पष्ट ही नहीं है। अब तक खाद्य विभाग
सब्सिडी वाले सिलेंडरों के व्यावसायिक उपयोग के आधार पर कार्रवाई करता रहा
है। अब ये असमंजस है कि बिना सब्सिडी वाले सिलेंडरों के इस्तेमाल पर खाद्य
विभाग कार्रवाई करेगा या नहीं।
उधर, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अफसर
का जवाब है कि वे तब तक कुछ नहीं कह सकते, जब तक इस बारे में स्पष्ट
दिशानिर्देश न मिल जाएं। आईओसी के मैनेजर (एलपीजी, सेल्स) एसआर कुजूर कहते
हैं कि नई प्राइजिंग में बिना सब्सिडी के सिलेंडरों और कमर्शियल सिलेंडरों
के बीच का अंतर कम किया जा सकता है। इससे ये दुविधा खत्म हो जाएगी।
यह है सिलेंडर का गणित
अब
तक: सब्सिडी वाले घरेलू सिलेंडर की कीमत 451 रुपए है। इसमें 14.2 किलो गैस
होती है। यानी गैस की कीमत 31 रुपए 76 पैसे प्रति किलो हुई। यह होगा: साल
में ६ सिलेंडर के बाद सब्सिडी का लाभ नहीं मिलेगा। यानी छठे सिलेंडर के बाद
हर सिलेंडर लेने के लिए आपको करीब 800 रुपए देने होंगे। यानी एक किलो गैस
हुई 56 रुपए 33 पैसे की। कमर्शियल सिंलेंडर की कीमत 1469 रुपए है। इसमें 19
किलो गैस होती है। यानी एक किलो गैस हुई 77 रुपए 34 पैसे की।
ऐसे महंगा होता है सिलेंडर
451
रुपए कीमत के घरेलू सिलेंडर पर 5 फीसदी वैट (21 रु 48 पैसे) व 6.5 फीसदी
बेसिक डेस्टिनेशन प्राइज (एंट्री टैक्स सहित अन्य टैक्स 26 रु 21 पैसे)
लगता है। यानी बतौर टैक्स एक सिलेंडर पर 48 रु राज्य सरकार के खाते में
जाते हैं। इससे पहले केंद्र सरकार सिलेंडर के बेस प्राइज पर 8 से 10 फीसदी
एक्साइज टैक्स अपने खाते में लेती है। ऐसे ही कमर्शियल यानी नीले सिलेंडर
पर वैट 13 फीसदी (169 रु) व एक प्रतिशत एंट्री टैक्स (करीब 15 रुपए) लगते
हैं। इस तरह 1469 रुपए के नीले सिलेंडर पर भी राज्य सरकार को प्रति सिलेंडर
184 रुपए टैक्स मिलता है।
नहीं आए नियम
भारत सरकार के अभी तक
नए नियम नहीं आए हैं, अभी कंट्रोल आर्डर 2001 के तहत होटल, ढाबा, वाहन में
जोभी घरेलू गैस का उपयोग करता है, उसे राजसात करने के हमें अधिकार हैं,
साथ जुर्माना भी लगाते हैं। आगे जैसे प्रावधान होंगे, उसी के मुताबिक
कार्रवाई होगी।
उमाकांत उमराव, आयुक्त, खाद्य नागरिक एवं आपूर्ति।