पंचायतें होंगी राजस्व गांव

पटनाः पंचायत राजस्व गांव के रूप में चिह्न्ति होंगे. सभी पंचायतों को
हलका का दर्जा मिलेगा और सभी पंचायतों में राजस्व कर्मियों की तैनाती की
जायेगी. यह घोषणा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार श्रीकृष्ण मेमोरियल
हॉल में पंचायत प्रतिनिधियों के लिए आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन
करते हुए की. इस कार्यक्रम का राज्य में पहली बार आयोजन किया गया था.

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार के सोच और जनप्रतिनिधियों की आकांक्षा में
कोई फर्क नहीं है. सरकार चाहती है कि जनप्रतिनिधियों को अधिकार मिलना
चाहिए. लेकिन, काम करने के पहले काम को समझना जरूरी है. अगर काम नहीं
जानेंगे, तो गुमराह होंगे. पंचायतों को काम करने के लिए क्रियान्वयन एजेंसी
होनी चाहिए.

अभी तो सभी पंचायतों में पंचायत सचिव ही नहीं हैं. लेखा-जोखा कौन रखेगा?
पंचायतों का काम बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति में यदि काम दिया भी जाये, तो काम
कौन करेगा? इसी को ध्यान में रख कर हर पंचायत में पंचायत सरकार भवन बनाया
जा रहा है. इसमें मुखिया, पंच, सरपंच व जनता को बैठने के साथ ही पंचायत
सचिव, राजस्व कर्मचारी के अलावा वसुधा केंद्र की भी व्यवस्था होगी. यहां से
जनता आवश्यक कागजात हासिल कर सकती है.

एक पंचायत सरकार भवन के निर्माण में 82 लाख रुपये खर्च होंगे. यह राशि
विश्व बैंक से कर्ज में ली गयी है. यहां पर मुखिया 15 अगस्त व 26 जनवरी को
झंडोत्तोलन करेंगे. इसी तरह हर पंचायत को हलका मान कर उसमें हलका कर्मचारी
की नियुक्ति की जायेगी.

कुछ लोग बेचैनी की सूई लेकर घूमते हैं
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य
में कुछ लोग बेचैनी की सूई लेकर घूमते रहते हैं. दो मिनट में बेचैन हो जाते
हैं. जैसी ही मुख्यमंत्री ने संबोधन शुरू किया, कुछ जनप्रतिनिधि खड़े होकर
मांग करने लगे कि पहले पंचायत प्रतिनिधियों को बात रखने का मौका दिया
जाये. इनमें से कुछ विरोध स्वरूप हॉल से बाहर निकल गये. मुख्यमंत्री ने
अपना संबोधन जारी रखा. उन्होंने कहा कि उन्हें पद पर रहने की चिंता ही नहीं
है. ऐसे में चिंता किस बात की है. बाद में मुख्यमंत्री के निर्देश पर
प्रतिनिधियों को बोलने का मौका दिया गया.

जॉर्ज मैथ्यू की अध्यक्षता में बनी कमेटी
मुख्यमंत्री ने कहा कि
पंचायती राज के सबसे बड़े विशेषज्ञ जॉर्ज मैथ्यू की अध्यक्षता में एक कमेटी
गठित की गयी है. पंचायतों को कैसे सशक्त बनाया जाये, इसके लिए एक
कार्यशाला होनी चाहिए. इसमें श्री मैथ्यू, एएनपी सिन्हा व पंचायती राज में
रुची रखनेवाले जनप्रतिनिधि और अन्य सदस्य बैठ कर एक प्रस्ताव तैयार करें.

कैसे चीजों को व्यवस्थित रूप से संचालित किया जा सकता है. ऐसे प्रस्ताव
को स्वीकार करने में कोई देर न होगी. कानून बनाने, नियमावली बनाने की जरूरत
होगी, तो सरकार वह काम भी तुरंत करेगी. उन्होंने प्रतिनिधियों को बताया
कि इंदिरा आवास व मनरेगा की गाइडलाइन केंद्र सरकार तय करती है. जो भी
केंद्रीय टैक्स संग्रह होता है, उसमें एक हिस्सा राज्यों को भी मिलता है.
इसी तरह राज्य सरकार भी अपने संसाधनों का एक हिस्सा पंचायतों व नगर निकायों
को देती है.

जनवरी में शुरू होगा पंचायत सरकार भवन का निर्माण
पंचायती राजमंत्री
डॉ भीम सिंह ने बताया कि 15 जनवरी से पंचायत सरकार भवन का निर्माण शुरू कर
दिया जायेगा. मुखियाओं को पत्र भेजा गया कि 30 सितंबर तक जमीन उपलब्ध करा
दें. 1435 पंचायतों में पंचायत सरकार भवन का निर्माण होना है. उन्होंने कहा
कि पंचायतों को आर्थिक शक्ति भी दी जा रही है.

उन्होंने केंद्र से पंचायत प्रतिनिधियों के लिए मानदेय की व्यवस्था करने
की मांग की. उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर तक पंचायतों को पुरस्कृत करने के
लिए प्रश्नावली भेजी गयी है. छह ग्राम पंचायत, चार पंचायत समिति और एक
जिला पर्षद को पुरस्कृत किया जायेगा.

इस मौके पर पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण के लिए तैयार की गयी
पुस्तिका का लोकार्पण मुख्यमंत्री और पंचायती राज मंत्री ने किया. इस मौके
पर विकास आयुक्त फूल सिंह, पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव अमिताभ वर्मा,
अपर सचिव लोकेश कुमार सिंह, सहायक निदेशक सुरेंद्र प्रसाद सहित विभाग के
पदाधिकारी कर्मचारी मौजूद थे.

हलका राजस्व प्रशासन की सबसे निचली इकाई होता है. एक राजस्व कर्मचारी का
कार्यक्षेत्र हलका होता है. अभी दो या दो से अधिक पंचायतों पर एक हलका का
गठन होता है. अब हर पंचायत को ही हलका मान लिया गया है. राजस्व कर्मचारी ही
हलका कर्मचारी कहलाता है. इसका प्राथमिक कार्य होता है राजस्व वसूली करना.
साथ ही वह दाखिल-खारिज सहित सभी तरह के राजस्व संबंधी दस्तावेजों की
रिपोर्ट तैयार करता है.

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