ग्वालियर।
मध्यप्रदेश में पूंजी निवेश और बेहतर औद्योगिक वातावरण देने के सरकारी
दावे कम से कम ग्वालियर-चंबल संभाग में तो बेमानी साबित होते दिख रहे हैं।
यहां के औद्योगिक क्षेत्र ग्वालियर, बानमोर और मालनपुर में बीते डेढ़ दशक
में छोटे-बड़े 700 उद्योग बंद हो गए। नतीजतन इनमें काम करने वाले 40 हजार
लोग बेरोजगार हो गए। एक आदमी के साथ अगर पांच सदस्यों का परिवार जुड़ा हो,
तो सीधे तौर पर दो लाख लोगों के सामने जीवनयापन के संकट का सवाल? तस्वीर का
दूसरा पहलू यह है कि बेरोजगारी ने भुखमरी की नौबत पैदा की तो अपराधों का
ग्राफ बढ़ गया। एक दशक ( 2001 से 2011) तक अकेले ग्वालियर में ही अपराधों
का आंकड़ा 6846 से बढ़कर 10304 हो गया।
बंद होने के पीछे कारण
– राजनीतिक दखलंदाजी,इनमें ट्रेड यूनियन भी शामिल।
– असुरक्षा का वातावरण।
– परंपरागत तकनीक, उत्पाद की गुणवत्ता
– बेहतर बाजार की सुविधा न होना
– बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान नहीं
– राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव
– कच्चे माल और प्रशिक्षित कर्मियों की अनुपलब्धता
मध्यप्रदेश में पूंजी निवेश और बेहतर औद्योगिक वातावरण देने के सरकारी
दावे कम से कम ग्वालियर-चंबल संभाग में तो बेमानी साबित होते दिख रहे हैं।
यहां के औद्योगिक क्षेत्र ग्वालियर, बानमोर और मालनपुर में बीते डेढ़ दशक
में छोटे-बड़े 700 उद्योग बंद हो गए। नतीजतन इनमें काम करने वाले 40 हजार
लोग बेरोजगार हो गए। एक आदमी के साथ अगर पांच सदस्यों का परिवार जुड़ा हो,
तो सीधे तौर पर दो लाख लोगों के सामने जीवनयापन के संकट का सवाल? तस्वीर का
दूसरा पहलू यह है कि बेरोजगारी ने भुखमरी की नौबत पैदा की तो अपराधों का
ग्राफ बढ़ गया। एक दशक ( 2001 से 2011) तक अकेले ग्वालियर में ही अपराधों
का आंकड़ा 6846 से बढ़कर 10304 हो गया।
बंद होने के पीछे कारण
– राजनीतिक दखलंदाजी,इनमें ट्रेड यूनियन भी शामिल।
– असुरक्षा का वातावरण।
– परंपरागत तकनीक, उत्पाद की गुणवत्ता
– बेहतर बाजार की सुविधा न होना
– बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान नहीं
– राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव
– कच्चे माल और प्रशिक्षित कर्मियों की अनुपलब्धता