विरोध में नर्मदा तटीय इलाके के गांवों में जल सत्याग्रह का बिगुल बज गया
है। नर्मदा बचाओ आंदोलन और डूब प्रभावित लोगों का कहना है कि बांध का
जलस्तर 260 मीटर से नीचे लाया जाए। उनका तर्क है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश
अनुसार डूब लाने के छह माह पहले संपूर्ण पुनर्वास होना जरूरी है। गांव वाले
पिछले एक हफ्ते से पानी में खड़े हुए हैं और प्रशासन परेशान है। एशियन
ह्यूमन राइट्स कमीशन की वेबसाइट पर भी यह मुद्दा गर्माया हुआ है।
इंदिरा
सागर बांध का बैक वॉटर हरदा जिले गांवों में पांव पसारने लगा है। ऐसे 29
गांव हैं जहां के खेत, घर, आबादी और रास्ते पानी से घिर रहे हैं। इनमें एक
गांव खरदाना है, जहां नर्मदा जल सत्याग्रह का बिगुल बज गया। इसके जरिए गांव
के परिवारों का पुनर्वास किए बगैर डूब में लाने पर विरोध किया गया।
इंदिरा
सागर परियोजना में पानी रोजाना 20 सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ रहा है। डूब
से प्रभावितों को जिला प्रशासन ने चार दिन पहले समझाइश तो दी है पर कोई
व्यक्तिगत या सार्वजनिक नोटिस नहीं दिया है। डेम में 260 मीटर के ऊपर पानी
भरना चालू कर दिया है जबकि हरदा, खंडवा व देवास जिले के हजारों परिवारों का
पुनर्वास बाकी है।
ऊंआ गांव के देवीलाल का कहना है, उनके गांव में पानी
बढ़ रहा है। किसी ने अभी घर खाली नहीं किया है। खरदाना गांव में जल
सत्याग्रह कर रहे आंदोलनकारियों को मनाने खंडवा जिले तक से अधिकारियों को
आना पड़ा। वहां मौजूद खंडवा के ही कैलाश चौहान बोले, बात इंदिरा सागर की
डूब में आने वाले सारे गांवों की हो रही है। सिर्फ कोरे आश्वासन से
सत्याग्रह नहीं टूटेगा। उधर सिराल्या गांव के लोगों का कहना था, जो अधिकारी
गांव में आए उन्होंने ठीक से बात नहीं की और अफसरी झाड़ी।