गुड़गांव.
मारुति सुजूकी कंपनी प्रबंधन द्वारा मानेसर प्लांट के 546 श्रमिकों को
निकाले जाने की घोषणा से श्रमिक वर्ग में हड़कंप मच गया है। निकाले गए
श्रमिकों के लिए जीने-मरने का सवाल खड़ा हो गया है। कई श्रमिकों ने
आत्महत्या के लिए मजबूर होने की बात की है।
कंपनी के इस फैसले के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को शहर में रैली
निकालने की तैयारी की है। कंपनी में बीते सात वर्र्षो से काम करने वाले
जींद निवासी पवन कुमार का कहना है कि उसे अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है।
आईटीआई करने के बाद वह अपना भविष्य सुधारने के लिए गुड़गांव आए थे, मगर सात
वर्ष की सेवा लेने के बाद कंपनी ने उनके सामने जीने-मरने की समस्या पैदा
कर दी है। वह निर्दोष हैं, 18 जुलाई को बी-शिफ्ट में काम करके बाहर निकल
रहे थे कि प्लांट में श्रमिक विरोध-प्रदर्शन को देखकर वह भाग खड़े हुए।
पवन ने बताया कि कंपनी से उसे कोई नोटिस नहीं मिला है, मगर कंपनी ने उसके
अकाउंट में कुल 55 हजार रुपए डलवाए हैं, जिससे जाहिर हो रहा है कि निकाले
गए श्रमिकों की सूची में उसका भी नाम है। जींद के ही संजय कुमार ने बताया
कि वे वर्ष 2007 से मानेसर प्लांट में काम कर रहे हैं। आर्थिक रूप से गरीब
हैं और जीविका का कोई और साधन नहीं है। कंपनी द्वारा निकाले जाने पर वह
सड़क पर आ गए हैं।
पांच वर्र्षो की सेवा के बाद कंपनी ने बिना कोई नोटिस दिए, बिना कारण बताए
और बिना जांच कराए अचानक नौकरी से निकाल कर उन्हें सड़क पर ला खड़ा कर दिया
है। कंपनी ने अकाउंट में 50 हजार रुपए डलवाए हैं, जिसे वह वापस कर देंगे।
इस सूचना से पत्नी और चार वर्षीय बेटी ने गुरुवार को खाना तक नहीं खाया है।
सभी को जीवन अंधकार लग रहा है। श्रमिक संदीप शर्मा का कहना है कि कंपनी के
इस फैसले से कुछ श्रमिक आत्महत्या के लिए मजबूर होंगे और अधिकतर आंदोलन का
रास्ता अपनाएंगे।
मारुति सुजूकी कंपनी प्रबंधन द्वारा मानेसर प्लांट के 546 श्रमिकों को
निकाले जाने की घोषणा से श्रमिक वर्ग में हड़कंप मच गया है। निकाले गए
श्रमिकों के लिए जीने-मरने का सवाल खड़ा हो गया है। कई श्रमिकों ने
आत्महत्या के लिए मजबूर होने की बात की है।
कंपनी के इस फैसले के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को शहर में रैली
निकालने की तैयारी की है। कंपनी में बीते सात वर्र्षो से काम करने वाले
जींद निवासी पवन कुमार का कहना है कि उसे अपना भविष्य अंधकारमय लग रहा है।
आईटीआई करने के बाद वह अपना भविष्य सुधारने के लिए गुड़गांव आए थे, मगर सात
वर्ष की सेवा लेने के बाद कंपनी ने उनके सामने जीने-मरने की समस्या पैदा
कर दी है। वह निर्दोष हैं, 18 जुलाई को बी-शिफ्ट में काम करके बाहर निकल
रहे थे कि प्लांट में श्रमिक विरोध-प्रदर्शन को देखकर वह भाग खड़े हुए।
पवन ने बताया कि कंपनी से उसे कोई नोटिस नहीं मिला है, मगर कंपनी ने उसके
अकाउंट में कुल 55 हजार रुपए डलवाए हैं, जिससे जाहिर हो रहा है कि निकाले
गए श्रमिकों की सूची में उसका भी नाम है। जींद के ही संजय कुमार ने बताया
कि वे वर्ष 2007 से मानेसर प्लांट में काम कर रहे हैं। आर्थिक रूप से गरीब
हैं और जीविका का कोई और साधन नहीं है। कंपनी द्वारा निकाले जाने पर वह
सड़क पर आ गए हैं।
पांच वर्र्षो की सेवा के बाद कंपनी ने बिना कोई नोटिस दिए, बिना कारण बताए
और बिना जांच कराए अचानक नौकरी से निकाल कर उन्हें सड़क पर ला खड़ा कर दिया
है। कंपनी ने अकाउंट में 50 हजार रुपए डलवाए हैं, जिसे वह वापस कर देंगे।
इस सूचना से पत्नी और चार वर्षीय बेटी ने गुरुवार को खाना तक नहीं खाया है।
सभी को जीवन अंधकार लग रहा है। श्रमिक संदीप शर्मा का कहना है कि कंपनी के
इस फैसले से कुछ श्रमिक आत्महत्या के लिए मजबूर होंगे और अधिकतर आंदोलन का
रास्ता अपनाएंगे।