लेवी के लिए आरटीआइ का सहारा

मुजफ्फरपुर : माओवादी विकास कार्यो में लेवी वसूलने के लिए नया फंडा
अपना रहे हैं. सूचना के अधिकार के तहत योजनाओं का इस्टीमेट पता करते हैं.
इसी के आधार पर ठेकेदारों से लेवी की वसूली करते हैं.

अगर कोई ठेकेदार इस्टीमेट की गलत जानकारी देता है, तो माओवादी उसे
इस्टीमेट के साथ लेवी के लिए पत्र भेजते हैं. साथ ही आगे से इस तरह से नहीं
करने की धमकी देते हैं. साथ ही जुर्माना भी संबंधित ठेकेदार से वसूला जाता
है.हाल में ऐसा ही मामला पड़ोसी जिले शिवहर में सामने आया था, जिसमें एक
योजना का इस्टीमेट चार करोड़ रुपये था, लेकिन ठेकेदार ने माओवादियों को दो
करोड़ का ही इस्टीमेट बताया.

इसी के आधार पर लेवी की राशि दी. इसके बाद माओवादियों ने आरटीआइ के तहत
इस्टीमेट की जानकारी ली और संबंधित ठेकेदार को धमकी भरा पत्र भेजा गया.
इसमें उसकी हत्या तक की बात कही गयी थी. सूत्रों की मानें, तो ठेकेदार ने
जुर्माने के साथ चार करोड़ पर लेवी की राशि अदा की, तब जाकर माओवादी
माने.नाम नहीं छापने की शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया, माओवादी, जब से
आरटीआइ का सहारा लेने लगे हैं, तब से हम लोग सतर्क हो गये हैं.

अब तय इस्टीमेट पर लेवी की राशि कम करने की मांग माओवादियों से की जाती
है. इस पर वह मान जाते हैं, कभी-कभी तय दस फीसदी लेवी की जगह पांच से सात
फीसदी ही लेवी देनी पड़ती है.माओवादियों के आरटीआइ के इस्तेमाल से
प्रशासनिक अधिकारी हैरत में हैं.इनका कहना है, अगर माओवादी ऐसा कर रहे हैं,
तो उसे रोक पाना मुश्किल काम है, क्योंकि सरकारी नियम के मुताबिक जानकारी
देना हमारी मजबूरी है. जब कोई जानकारी मांगता है, तो वह उसका क्या उपयोग
करेगा, यह नहीं पूछा जाता है.

-रवीन्द्र कुमार सिंह

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