किसान बोले-पुलिस ही दोषी, पुलिसवालों ने कहा-हमें पीटा

रेवाड़ी.‘हम
अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहते और इसलिए हम शांतिपूर्ण तरीके
से अपना धरना दे रहे थे। पुलिस ने बर्बरता के साथ हम सभी पर लाठीचार्ज
किया। हमारी अभी तक कोई सुनवाई नहीं की गई है।’ ‘पहले हमने लाठीचार्ज नहीं
किया बल्कि किसानों की ओर से मारपीट शुरू की गई। स्थिति को काबू में करने
के लिए ही कार्रवाई की गई।’












यह बयान थे दोनों पक्ष थे यानि किसानों और पुलिस के। दोनों पक्ष रविवार को
जस्टिस इकबाल चौधरी के समक्ष 16 व 22 जुलाई को हुए खूनी संघर्ष मामले में
अपने बयान दर्ज करा रहे थे। हिंसा की जांच के लिए पहली बार रेवाड़ी पहुंचे
जस्टिस इकबाल के साथ एचसीएस अधिकारी व सहायक रजिस्ट्रार एसपी अरोड़ा भी
मौजूद रहे।










किसानों का पक्ष रखने के लिए किसान संघर्ष समिति के नेता रामकिशन महलावत,
कर्नल जीआर चौकन मौजूद थे। इधर, प्रशासन की ओर से उपायुक्त सीजी रजनीकांथन,
एसपी अभिषेक गर्ग, एसडीएम जीएल यादव व तहसीलदार नौरंग राय मौजूद रहे।
सुनवाई के बाद जस्टिस चौधरी ने गांव आसलवास का दौरा किया जहां से साक्ष्य
और तथ्य भी जुटाए।












जबरदस्ती जमीन छीनने का प्रयास




जस्टिस चौधरी के समक्ष हुई सुनवाई में किसानों ने साफ तौर पर कहा कि सरकार
तानाशाही रवैया अपना रही है। जबरन उनकी जमीनों को छीनने का प्रयास कर रही
है। डीटीपी दस्ते की ओर से सेक्शन ४ से पहले निर्मित उनके मकानों पर बिना
किसी सूचना के बुलडोजर चलवाया गया । यह सब सरासर कानून का उल्लंघन था।
किसान नेता कर्नल एससी यादव ने कहा कि 23 जुलाई 2011 को खुद मुख्यमंत्री का
यह बयान था कि जनवरी 2011 के बाद जहां पर भी अधिग्रहण प्रक्रिया चल रही
है, वहां नए अधिग्रहण कानून के तहत ही कार्रवाई होगी, लेकिन अब मुख्यमंत्री
भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने बयान से पटल रहे हैं।










21 दिनों में हलफनामा भेजे किसान




जस्टिस चौधरी के साथ टीम में शामिल एचसीएस अधिकारी एसपी अरोड़ा ने कहा कि
किसान और पुलिस के जवान अपनी जो भी बात कहना चाहते हैं उसके लिए वे सुनवाई
कमेटी के पास 21 दिनों के भीतर हलफनामा भेज सकते हैं। कमेटी की ओर से 11
अगस्त को इस बाबत सूचना जारी की जा चुकी है। सभी की सुनवाई की जाएगी।



class="introTxt" style="text-align: justify">




पत्रकारों पर हुए हमले की भी निंदा




जस्टिस के समक्ष संघर्ष समिति की ओर से पत्रकारों पर हुए हमले की भी आलोचना
की गई। एडवोकेट राजेंद्र सिंह ने कहा कि पूरी घटनाक्रम की कवरेज कर रहे
पत्रकारों के कैमरे भी तोड़े गए तथा कुछ पत्रकारों पर पुलिस की ओर से
लाठीचार्ज भी किया गया। उन्होंने इसे सीधे तौर पर लोकतंत्र को कुचलने वाला
अभियान बताया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *