कुछ लोग ऐसे हैं, जो इस धारणा को तोड़ते हैं. आइआइएम रांची में एक ऐसे शख्स
हैं, जिन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को पीछे छोड़ते हुए वह कर दिखाया है,
जो हर किसी के लिए मुमकिन नहीं. ये हैं मुजाहिद. मुजाहिद के कमर के नीचे
का हिस्सा काम नहीं करता. वे ह्लील चेयर पर ही बैठ कर अपना काम निबटाते
हैं.
मुजाहिद फिलहाल आइआइएम रांची में पीजीडीएम के स्टूडेंटस हैं, यहां बता दें
कि ये इंजीनियर भी हैं. यह हैरान करनेवाली बात थी कि इंजीनियर के पद पर
होते हुए एक बार फिर से उनके मन में पढ़ाई करने की इच्छा जागी और वे कर भी
रहे हैं. आइआइएम में आने से पहले मुजाहिद इंफोसिस में सिस्टम इंजीनियर के
पद पर कार्य रहे थे. आइआइएम आने से पहले उनकी प्रोन्नति सीनियर सिस्टम
इंजीनियर के पद पर हो चुका था. उनका चयन देश के पांच आइआइएम में हो चुका
था. लेकिन, उन्होंने रांची को ही चुना.
मम्मी-पापा गर्व करते हैं : मुजाहिद कहते हैं कि शुरू
में परेशानी होती थी. अब आदत सी हो गयी है. कभी-कभी लगता था कि क्या हो
गया. मेरे मम्मी-पापा ने मेरा हौसला बढ़ाया, वे मुझ पर गर्व करते हैं. मुझे
कभी भी ऐसा नहीं लगा कि वे मुझसे किसी बात को लेकर दुखी हैं. ऊपरवाले ने
जिंदगी दी है, इसलिए इसे मजे के साथ जी रहा हूं. रांची शहर के बारे में
मुजाहिद बताते हैं यह शहर काफी अच्छा है. यहां का मौसम अच्छा है.
आइआइएम में पढ़ते हैं मुजाहिद, दर्द निवारक दवा खाकर करते हैं क्लास
शरीर का निचला हिस्सा कैसे हुआ खराब
मुजाहिद बताते हैं कि जब वो नौवीं कक्षा में थे. तो स्कूल में लंच ब्रेक
में फुटबाल खेला, जब वो घर आये तो उनके पांव में काफी दर्द होने लगा.
डॉक्टर को भी दिखाया. दवाइयां भी ली. कुछ नहीं हुआ. इलाज कराते-कराते
दो-तीन माह निकल गये. दर्द बढ़ता गया.
इसके बाद उनके माता-पिता उसे इलाज के लिए एम्स ले गये, जहां डॉक्टरों ने
बताया कि उन्हें गठिया है. शरीर का निचले हिस्से की हड्डी रगड़ खा रही है.
धीरे-धीरे मर्ज बढ़ता गया. वो स्कूल भी जाते थे, तो दर्द की दवा खा कर जाते
हैं. यहां भी दवा खा कर ही क्लास करने आते हैं.
देश से बाहर सेवा देना चाहते हैं
मुजाहिद प्रबंधन की पढ़ाई कर विदेश में नौकरी करना चाहते हैं. क्योंकि
उनके पांव का इलाज भी कराना है. वे कहते हैं आइआइएम के उन्हें दोस्तों से
काफी सहयोग भी मिलता है.